कर्नलगंज (गोंडा) । मुख्यमंत्री की चेतावनी के बाद भी मंडी परिषद स्थित दोनों धान क्रय केंद्र में भ्रष्टाचार व अव्यवस्था है जोकि केंद्र प्रभारियों की लापरवाही के चलते सुधरने का नाम नहीं ले रही है।दोनों केंद्र प्रभारियों पर कमालपुर के निवासी गिरजा शंकर सिंह व कचनापुर निवासी संत प्रताप सिंह ने भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री व मंडलायुक्त से पत्र भेजकर की है। पत्र की एक कॉपी प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजी है।
मालूम हो मंडी परिषद में दो धान क्रय केंद्र कर्नलगंज व हलधरमऊ संचालित किया जा रहा है जिसमें कर्नलगंज प्रभारी शैलेश कुमार सिंह व हलधरमऊ प्रभारी भूपेंद्र वर्मा नियुक्त है।मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में कर्नलगंज केंद्र प्रभारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि धान क्रय केंद्र पर केवल अधिकारियों के निरीक्षण के समय उपस्थित रहने व उसके बाद वहां से गायब हो जाने व वहां मौजूद कर्मी राम लखन के हाथों में पूरे केंद्र के संचालक व्यवस्था की बागडोर दे रखी है।यहां वह बिना डरे रुपए 300 प्रति क्विंटल सुविधा शुल्क लेकर ही किसानों का धान तोला जाता है।पिछले 5 वर्षों में अब तक इतनी धान की खरीद नहीं हुई जितना कि इस समय इन केंद्रों पर हुई है कागजों में जो आंकड़े दिए जा रहे हैं वे गोंडा में स्थित मिलों से कमीशन खोरी कर क्रय किए गए धान के हैं। यहां पर व्याप्त अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायत स्थानीय अधिकारियों से भी की गई पर अब तक कोई कार्यवाही ना होने से भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद है।जिसका खामियाजा बिचारे अन्नदाता ओं को भुगतना पड़ रहा है।जब वहां मौजूद कर्मियों से उच्च अधिकारियों से शिकायत करने की बात कहीं जाती है तो वह कहते हैं जहां शिकायत करनी हो कर दो इस समय दिल्ली में भी किसान आंदोलन कर रहे हैं।
क्रय केंद्र में व्याप्त भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग उन्होंने अपनी शिकायत में की है जिससे किसानों में सरकार के प्रति विश्वास की भावना बनी रहे। वहीं केंद्र प्रभारी के समस्त किसानों का भुगतान किए जाने का बयान कई बार दिया गया पर इसके उलट नारायणपुर मांझा निवासी पुष्पा देवी 28 कुंतल धान का भुगतान पिछले कई दिनों से लंबित है।
इस मामले में केंद्र प्रभारी शैलेश कुमार सिंह के मोबाइल नंबर जो कि क्रय केंद्र पर लगे बैनर पर दिया गया है उस पर कॉल किया गया पर नंबर के सेवा में ना होने का उत्तर आया जिससे उनका पक्ष जाना नहीं जा सका।