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कभी कराया था पंडित दीनदयाल उपाध्याय को भोजन, आज परिवार तरस रहा एक अदद छत के लिए

Written by Vaarta Desk

बेटे ठेला लगा किसी तरह आजीविका चलाने को हैं विवश

गोरखपुर। पडिंत दीन दयाल उपाध्याय को अपना आदर्श और उनके विचारों को आत्मसात कर प्रदेश और देश में शासन करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकारों को उन परिवारों और लोगांें की भी चिन्ता नही है जिन्होेनंें कभी एकात्म मानववाद के प्रणेता दीन दयाल उपाध्याय को अपनी गरीबी में भी पूरी श्रद्वा के साथ भोजन कराया था। आज उनके पास न तो मकान है और ही व्यवसाय, उनके बेटे ठेला चलाकर किसी तरह अपने परिवार का जीवनयापन कर रहे है।

जी हां हम बात कर रहे है आज से 54 वर्ष पहले वर्ष अपनी झोपडी में पडित दीनदयाल उपाध्याय को पे्रेम से भोजन कराने वाले नेबुआ नौरंगिया क्षेत्र के ग्राम खजुरी निवासी रामाज्ञा बनिया की। उस समय की घटना से परिचित रहे जनसंघ के कार्यकर्ता रहे बुजुर्ग रविन्द पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 1967 में खजुरी में पडित दीनदयाल उपाध्याय की सभा आयोजित थी। सभा के बाद पडितं जी के भोजन का कार्यक्रम था, पहले से जिस कार्यकर्ता के घर भोजन निर्धारित था किसी कारण उस कार्यकर्ता ने भोजन में अपनी असमर्थता जाहिर कर दी। कार्यक्रम के आयोजक ने इसी जानकारी पडित जी को दी तो उन्होनें उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कोई बात नही हम इसी व्यवस्था स्वयं कर लेगें, इसके बाद उन्होेनें बिना किसी से पूछे पास ही स्थित रामाज्ञा बनिया के घर पहुंच गये।

रामाज्ञा बनिया और उनकी पत्नी सुगंधा देवी ने घर आये मेहमान को भगवान का दर्जा मानते हुए घर में जो भी था उसे जल्दी से तैयार कर उनको भोजन कराया। रविन्द्र पाण्डेय ने बताया कि रामाज्ञा का परिवार उस समय भी काफी गरीब था, घर में मात्र कोदो व कोई सब्जी ही थी जिसे उन्होनें तैयार कर पडित जी और उनके साथियों को भोजन कराया था।

वर्षो से गरीबी का दशं झेल रहे परिवार की स्थिति बयां करती रामाज्ञा बनिया की बुजूर्ग पत्नी सुगंधा देवी ने बताया कि उनके तीन पुत्र है, गरीबी के चलते सभी ठेला लगा कर परिवार का किसी तरह जीवन यापन कर रहे है। सुगघा ने बताया कि उनका चार कमरो ंका मकान था परन्तु गरीबी के चलते अब वह जर्जर हो चुका है। मकान कब ढह जाये कहा नही जा सकता। सुंगंधा ने कहा कि उसे अन्त्योदय कार्ड मिला है परन्तु उसका कोई भी लाभ उसे नही मिल रहा।

कभी पडित दीन दयाल उपाध्याय जैसी शख्सियत को भोजन कराने वाला परिवार आज गरीबी की मार से इस कदर त्रस्त है सुनकर जहां दुख होता है वही इस बात का आश्चर्य कि संस्कारों और अपने पूर्वजों का सम्मान करने की बात कहने वाली भाजपा की राज्य तथा केन्द्र में भी सरकार होने के बाद आज तक उन्हें इन परिवारों की सुध क्यों नही आयी। क्या इस मामले में उनके संस्कार राजनीति के शिकार हो जाते है या फिर उनके दावे मात्र सफेद हाथी ही है।

मामला प्रकाश में आने के बाद उम्मीद है सरकार जागेगी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय को सम्मान देते हुए इस परिवार का सुध लेते हुए उन्हें गरीबी से उबारने के लिए कुछ न कुछ तो करेगी।

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