लखनउ। विभिन्न रास्तों से उत्तरप्रदेश आये और यही छुप कर रह रहे लगभग 2000 से भी अधिक रोहिग्ंयाओं पर सरकार ने अपनी नजर टेढी करते हुए उनको खोजने का काम शुरू कर दिया है। बताया जाता है जहंा ये रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे है वही देश की आर्थिक स्थिति को भी नुकसान पहुचांने के अपराध में भी लिप्त दिखाई दे रहे है।
शनिवार को प्रदेश् के डीजीपी प्रशांत कुमार ने जानकारी देत हुए बताया इन्हें खोजने की जिम्मेेदारी स्टेट इंटेलीजेंस, एटीएस और सभी जिलों की पुलिस का दे दिये गये है। उन्होनें बताया िकइस बात की भी जानकारी मिली है कि यूपी में रह रहे रोहिंग्या हवाला नेटवर्क का प्रयोग कर रहे है ओैर इस नेटवर्क के जरिये वे यहां से पैसे को बांग्लादेश और म्यामार भेज रहे हैं। हवाला से जुडे मामलों को प्रदेश की एटीएस के हवाले किया गया है।
वंही एटीएस के आईजी जी के गोस्वामी के हवाले से मिल रही जानकारी के अनुसार प्रदेश के संतकबीर नगर से गिरफतार किये गये रोहिंग्या अजीजुल हसन का पासपोर्ट गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले नरेश ने बनाया था जिसे गिरफतार करने के लिए एटीएस ने वहां छापा भी मारा है लेकिन अभी गिरफतारी की पुष्टि नही हो सकी है।
वहींे इस मामले के जानकारों की माने तो हवाला नेटवर्क में रोहिग्याओं के लिप्त होने की जानकारी एटीएस को गिरफतार रोहिग्या अजीजुल हसन से ही मिली है। अजीजुल हसन ने यह भी बताया है कि काफी संख्या में रोहिग्या संतकबीर नगर, सिद्वार्थनगर, अलीगढ तथा मेरठ में रहते है। उसने इस बात को भी कबूला है कि उसने भारी कमीशन लेकर कई रोहिग्याओं को भारत का रास्ता दिखाया है। इतना ही नही उसने अपने बहनोई नूर आलम केे भी इस नेटवर्क में शामिल होने का खुलासरा किया है।
पुलिस को इस बात का भी शक है कि रोहिग्याओं तथा अजीजुल हसन के तार आतंकी फडिंग से भी जुडे हैं, एटीएस इस एंिगल से भी इस मामले की जांच कर रही है। डीजीपी प्रशांत कुमार के मुताबिक जल्द ही इनके नेटवर्क का खुलासा करते हुए बडी कार्यवाही सामने आ सकती है।