चिंता के साथ सरकार को सुझाव भी दे रहे राष्ट्रपति उम्मीदवार रह चुके जीवन मित्तल
जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री के बाद परिवार नियोजन कार्यक्रम जोरों पर था। डाक टिकट में, रेडियो और TV लाइसेंस पुस्तिका आदि में, रेल टिकट आदि में परिवार नियोजन की सूचना होती थी। डिस्पेंसरी, हॉस्पिटल आदि के बाहर पीले खम्भे पर लाल तिकोण लटका होता था। हजारों दीवारों पर लाल तिकोण की सूचना होती थी।
तब पुरुष नसबंदी आम बात थी। केंद्रों से निरोध सहज उपलब्ध थे। 1975 के आपातकालीन में पुरुष नसबंदी जोरों पर थी। तब परिवार नियोजन की नस जोर से दबाई जा रही थी। जनता पार्टी के शासन में जनसँख्या नियंत्रण ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया। पिछले 40 से ज्यादा सालों से परिवार नियोजन पर प्रचार गायब है।
कल्याण सिंह के ज़माने से बात परिवार नियोजन की नहीं वरन परिवार कल्याण की होती है। बेतहाशा आबादी से घोर गरीबी और घोर अशिक्षा है। बेतहाशा आबादी से हर जगह अवैध निर्माण, आपाधापी, जाम, टेंशन, भीड़, मनमानी आदि है। देश की 90% से ज्यादा जनता त्रस्त है, दुःखी है, परेशान है, हैरान है। बेतहाशा आबादी से भ्रष्टाचार तेजी से पनप रहा है।
देश की गंभीर और सर्वप्रमुख समस्या पर सरकार को घेरने के साथ ही इससे प्रभावी रूप से निपटने के लिये सुझाव देते हुए राष्ट्रपति पद को दो बार उम्मीदवार रह चुके समाजसेवी जीवन कुमार मित्तल ने कहा कि
सरकार को परिवार सीमित करने का सन्देश स्थाई रूप से हर माध्यम से देना चाहिए ताकि भारत की आबादी चीन से ज्यादा न हो पाए। 2 से ज्यादा बच्चे होने पर ESIC सुविधा, शिक्षा राहत आदि उपलब्ध नहीं होनी चाहिए। इतना ही नही दूसरा बच्चा गैप के बाद करने वालों को वार्षिक दर से पुरस्कार दिया जाना चाहिए।
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