नयी दिल्ली। उत्तर प्रदेश में राष्ट्पति शासन लगाने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतमन्यायाय ने याचिका कर्ता को फटकार लगाते हुए याचिका खारिज करने के साथ ही जुर्माना लगाने की भी चेतावनी दे डाली।
ज्ञात हो कि याचिकाकर्ता अधिवक्ता सीआर जया सुकिन ने सुप्रीम कोर्ट मे ंयह कहते हुए राष्ट्पति शासन लगाने की याचिका दाखिल की थी कि उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा गैरकानूनी और मनमाने तरीके से हत्यायें की जा रही है। तथा यहां ऐसी स्थिति बन गयी है जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को सविंधान के प्रावधानों के अनुरूप् बने रहने की अनुमति नही दी जा सकती। याचिका मे ंयह भी दावा किया गया था कि प्रदेश में सविधंान के अनुच्छेद 356 को लागू किया जाना भारतीय लोकतत्रं और राज्य के 20 करोड लोगों को बचाने के लिए जरूरी है। यहंा यह भी बताना आवष्यक है कि याचिका कर्ता ने यह भी कहा है कि उसने एनसीआरबी और राष्ट्ीय मानवाधिकार आयेाग के आंकडो को पर शोध किया है जिसमें यह साबित हो रहा है कि प्रदेश में अपराध का आंकडा बढा है।
कोर्ट ने याचिका करता को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने कितने राज्योे के अपराधों के रिकार्ड का अध्ययन किया है। क्या आपने अन्य राज्यों के अपराध रिकार्ड का अध्ययन किया हे, अन्य राज्यो में अपराध रिकार्ड पर आपका क्या शोध है, हमें दिखाइये के आप किस आधार पर यह कह रहे है। कोर्ट ने कहा कि उनके किये गये दावे में इस तरह का कोई भी शोध नही किया गया है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोवडे, न्यायामूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए याचिका कर्ता वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर आप और बहस करेेगें तो हम आप पर भारी जुर्माना भी लगा सकते है।