लखनउ। छह वर्ष पूर्व हुयी भर्तीयों में बडे पैमानेे पर गडबडी की आशंका उस समय हुयी जब वर्ष 2013-14 मंें एसजीपीजीआई में सिस्टर ग्रेड टू पर हुयी भर्तीयों में पता चला कि एक महिला ने अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र पर नौकरी पायी हुयी है जबकि वह ईसाई धर्म अपना चुकी है। मामले के उजागर होने पर एसजीपीजीआई, सहित अन्य कई संस्थानो ंपर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर वर्ष 2012 े बाद हुयी सभी नियुक्तियों की जाचं कराने की मांग की है।
मिल रही जानकारी के अनुसार जनपद मउ के मधुबन तहसीन निवासी निशा ने अनुसूचित जाति के प्रमााण पत्र पर नौकरी पायी हुयी है। वर्ष 2019 मे ंकी गयी जाचं मे ंपता चला कि निशा का परिवार ईसाई धर्म केा अपना चुका है। जांच में यह माना गया कि नौकरी हासिल करने लिए जो प्रमाण पत्र बनवाया गया है उसे अवैध तरीके से बनवाया गया है। मामले के सामने आने पर निशा ने कोर्ट में अपील की तो कोर्ट ने एक जांच कमेटी बनायी जिसने जाचोपरांत प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिया जिस पर उसे निरस्त कर दिया गया।
मामले में प्रमाण पत्र जारी करने वाले लेखपाल पर भी कार्यवाही की गयी हैं। बताते चले कि धर्मपरिवर्तन के मामलो ंमें हिन्दू धर्म से सिख या बौध धर्म अपनाने पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र वैध रहता है और वह इस प्रमाण पत्र के आधार पर सुविधाये हासिल कर सकता हैं परन्तु यदि उसने ईसाई या फिर इस्लाम धर्म अपनाया है तो उसका यह अधिकार समाप्त हो जाता है।