शादी के बाद गर्भवती कर फरार हो गया था आरोपी प्रशांत मंदिलवार
प्रशासन से गुहार लगाने के बाद दे रहा था जान से मारने की धमकी
गिरडीह/इन्दौर। अपने प्रेम जाल में फसाकर शादी और उसके बाद युवती के गर्भवती होने के बाद उसे बेसहारा छोड का भाग जाने के आरोपी पर आखिरकार गिरडीह पुलिस ने मामला दर्ज कर ही लिया, हालाकिं इसके लिए पीडित युवती को कई दर पर अपनी गुहार लगानी पडी जिसमेें झारखण्ड के मुख्यमत्रंी के साथ साथ एससी एसटी मामलों के मंत्री भी थे, मामले मंे मंत्री चन्पई सोरेन ने दखल भी दिया था लेकिन पुलिस उन्हेें भी रास्ता ही दिखाती रही फिलहाल गिरडीह पुलिस को अपने कर्तव्य का बोध हुआ या फिर दबाव का अहसास उसने मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन अभी भी वह आरोपी की गिरफतारी से बच रही है जो पुलिस की कर्तव्यनिष्ठा को सदिग्ध बना रही है
मामला मध्यप्रदेश के इंदौर की निवासी भारती सुनहरे का है जिन्होनंें अपने साथ हुए धोखाधडी की शिकायत झांरखड के मुख्यमत्री सहित पुलिस अधीक्षक गिरडीह को करते हुए शिकायती पत्र दिया था। पीडित भारती ने अपनी पीडा व्यक्त करते हुए लिखा था कि आरोपी प्रशांत मंदिलवार ने उससे धोखे से शादी की जिससे एक बच्ची भी हुयी परन्तु उसने उसे छोड कर बिना उसे तलाक दिये बिहार निवासी एक युवती से शादी रचा लीं। जब उस पर तलाक के लिए दबाव डाला गया तो उसने उसे झूठा आश्वासन देते हुए कोर्ट को भी गुमराह किया, इतना ही नही प्रशांत के साथ उसके पिता जयप्रकाश नारायण, भाई रितेश कुमार उर्फ पिन्टू, सतीश, आषीष, तथा उसकी माता निर्मला देवी द्वारा बार बार उसे तथा उसकी छोटी सी बच्ची को जान से मारने की धमकी दी जा रही थी।
मुख्यंमंत्री को लिखे पत्र में भारती ने कहा था कि प्रशांत कई वषों से देश से बाहर है और उसके बारें मे जब भी परिवार वालो से पूछा जाता है वे लोग कोई न कोई झूठ बोल देते है, प्रशातं के परिवार वाले मेरी बच्ची को लेकर मेेरे उपर लांछन भी लगाते है जबकि उनके इस आरोप को लेकर बच्ची का डीएनए टेस्ट भी मैने करा लिया है जो प्रमाणित करता है कि मेरी बच्ची का पिता प्रशांत ही हैं। दाने दाने को मोहताज भारती ने कहा है उसके पास अपने और बच्ची के भरण पोषण के लिए कोई भी जरिया नही है जिससे वह बच्ची सहित दाने दाने को मोहताज हो गयी हैं।
भारती ने अपने मामले से झारखण्ड सरकार के परिवहन, अनूसूचित जाति मामलो के मंत्री चम्पई सोरेन तथा मुख्यमंत्री हेमंत्र सोरेन की भाभी तथा बाल विकास समिति की सभापति सीता सोरेन से भी अपनी गुहार लगाई है जिस पर मंत्री चम्पई सोरेन ने गिरडीह पुलिस को निर्देश देते हुए कहा ‘‘इस मामले का संज्ञान लेकर इसमें क्या कार्यवाही की जा रही है, इस बारे में सूचित किया जाये। ऐसे मामलों का मानवीय आधार पर त्वरित निष्पादन जरूर है। अगर वाकई गिरडीह पुलिस की लापरवाही से इस महिला की यह स्थिति है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है’’।
हालाकि गिरडीह पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन न तो एससीएसटी एक्ट लगाया ओैर न ही तुरंत गिरफतारी योग्य धारा लगाने के बाद भी आरोपी केा गिरफतार ही किया जो कि उनके कर्तव्यनिष्ठा केा सदिग्ध करता है। मामले पर जब गिरडीह थाना मधुबन प्रभारी दिलशन बिरवा ने बताया कि चूंिक पीडित ने अपने शिकायती पत्र में अपने समुदाय का विवरण नही दिया था इसलिए एससीएसटी एक्ट नही लगाया गया है, जांच में यदि यह बात भी सामने आती है तो प्रक्रिया के तहत यह एक्ट भी स्वतः लग जायेगा। वही उन्होेंनें यह भी बताया कि मामले की जांच की जा रही हे जैसे जैसे तथ्य सामने आयेगे उसके अनुरूप् कडी कार्यवाही की जायेगी। दोषी कोई भी हो उसे छोडा नही जायेगा।
वहीं गिरिडीह पुलिस की कार्यशैली से आक्रोशित और निराश पीड़िता ने झारखंड शासन सहित पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि पुलिस ने अविलंब आरोपी को गिरफ्तार नही किया तो उसे विवश होकर डी सी कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन करने के लिये बाध्य होना पड़ेगा !
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