विवेचना अधिकारी ने दबाया मामला, एडीजी ने बिठाई जांच, एसपी से मांगी रिपोर्ट
मेरठ। वैसे तो उत्तर प्रदेश की पुलिस अपने अजीबोगरीब कारनामो के लिए कुख्यात है। लेकिन यह अजीबोगरीब कारनामा कुछ अलग किस्म का है जिसमें उत्तर्र प्रदेश पुलिस द्वारा इस कदर लापरवाही अपनायी गयी कि जिन्दा किशोरी की हत्या के आरोप में तीन लोगो ंको अपराधी ठहराते हुए उन्हें जेल भी भेज दिया गया। खास बात तो यह है की बाल कल्याण समिति द्वारा किशोरी को पुलिस के सुपुर्द भी किया गया था परन्तु उसकी बरामदगी को दबा दिया गया। फिलहाल मामला उजागर होने पर एडीजी ने जांच बिठाते हुए एससी से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है।
प्रकरण बागपत के ख्ेाकडा निवासी एक किशोरी से जुडा है जिसके अपहरण औ हत्या का मुकदमा परीक्षितगढ थाने मे ंदर्ज कराया गया था। परीक्षितगढ पुलिस ने अपनी जांच में हत्या की बात को सत्य मानते हुए बागपत निवासी अमित उसके भाई कपिल तथा उनके मामा बालेन्द्र को आरोपी ठहराते हुए गिरफतार कर विगत 3 जनवरी को जेल भी भेज दिया।
किशोरी के जिन्दा होने का बडा खुलासा बालकत्याण समिति के सदस्य डा0 हरीश शर्मा तथा रिटायर्ड सीओ राजन त्यागी ने करते हुए किशोरी को विगत आठ फरवरी को ही परीक्षित गढ के एसआई सत्यवीर सिंह के कस्टडी में दे दिया। बताया जा रहा है कि पुलिस ने उसका बयान भी लिया लेकिन फिर इस मामले केा विवेचना अधिकारी द्वारा दबा दिया गया। अब मामला फिर उजागर हुआ तो एडीजी राजीव सब्बरवाल ने पूरे मामले पर जांच बिठाते हुए पुलिस अधीक्षक से मामले की रिपोर्ट मांगी है। मिल रही जानकारी के अनुसार किशोरी इस समय वैश्य अनाथालय मे ंरह रही है।