भारत के सबसे वजनी संचार उपग्रह जीसैट-11 का फ्रेंच गुयाना से सफल प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन – इसरो के सबसे वजनी और अत्याधुनिक संचार उपग्रह जी सैट -11 का आज तड़के फ्रेंच गुयान के अंतरिक्ष केन्द्र से सफल प्रक्षेपण किया गया।
प्रक्षेपण यान एरियन 5 वीए -246 ने सबसे ज्यादा भार वाले जीसैट -11 और दक्षिणी कोरिया के उपग्रह जीओ कॉम्पसैट-2ए को लेकर भारतीय समयानुसार आज तड़के दो बजकर सात मिनट पर फ्रेंच गुयाना के कोरू प्रक्षेपण केन्द्र से उड़ान भरी। एरियन -5, सोयूज और वेगा सहित उन तीन प्रक्षेपण यानों में से एक है जिसे यूरोप की एरियनस्पेस कंपनी संचालित करती है।
तीन मिनट की उपनी उड़ान के बाद जीसैट-11 प्रक्षेपण यान एरियन -5 से अलग होकर भूसमकालिक अंतरण कक्षा में प्रवेश कर गया जो कि उपग्रह की निर्धारित कक्षा के काफी समीप था।
5854 किलोग्राम भार वाला जी सैट-11 उपग्रह 32 यूजर बीम के माध्यम से केयू बैंड और 8 हब बीम के माध्यम से केए बैंड में भारत के सामान्य और द्वीपीय क्षेत्रों में तीव्रगति की इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने कहा ‘जीसैट-11’ देश के ग्रामीण और दूरदराज के ग्राम पंचायत क्षेत्रों में भारत नेट परियोजना के तहत आने वाली ब्रॉडबैण्ड सम्पर्क सेवा को गति देगा, जो कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का एक हिस्सा है। श्री सिवन ने कहा कि भारत नेट परियोजना का उद्देश्य ई-बैंकिंग, ई-हेल्थ और ई-गवर्नेंस जैसी जन कल्याणकारी योजनाओं को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि जीसैट-11 भविष्य के सभी तरह के संचार उपग्रहों के लिए एक अग्रदूत साबित होगा। इसरो अध्यक्ष ने कहा कि आज के सफल प्रक्षेपण ने सभी लोगों का आत्म-विश्वास बढ़ाया है।
प्रक्षेपण यान से उपग्रह के अलग होने के तुरंत बाद कर्नाटक के हासन स्थित इसरो के नियंत्रण कक्ष ने उपग्रह की कमान और नियंत्रण अपने हाथों में ले ली। नियंत्रण कक्ष के अनुसार उपग्रह सभी मानकों पर सही तरह से काम कर रहा है।
आने वाले दिनों में इसरो के वैज्ञानिक जीसैट-11 उपग्रह को भूमध्य रेखा से 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित करने का काम चरणबद्ध तरीके से करेंगे। इसके लिए उपग्रह की प्रणोदक प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। उपग्रह को 74 डिग्री पूर्वी देशान्तर पर भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाना है। इसके साथ ही उपग्रह के दो सौर पैनलों और चार एंटीनाओं के रिफलेक्टरों को खोल दिया जाएगा। कक्षा में स्थापित किये जाने के सभी परीक्षण पूरे होने के साथ ही उपग्रह पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगा।
पिछले 21 दिनों में इसरो ने तीन उपग्रहों और दो प्रक्षेपण यानों का सफल प्रक्षेपण किया है।