शामली। अभी तक हत्या या फिर मृत व्यक्ति की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की आवश्यकता पडती थी परन्तु अब तो जानवरो के भी डीएनए टेस्ट की बात हो रही है। लेकिन यह आवश्यकता क्यों पडी कि एक भैसे के डीएनए टेस्ट कराने का बात करनी पडी हो, आइये हम आपकों बतातें है यह कारण।
हुआ यूं कि चोरी गये भैसे की जानकारी मिलने पर जब उसके स्वामी ने उस पर अपना दावा ठोका तो दूसरे ने भी उसे अपना बता दिया। इस मामले में उलझा स्वामित्व डीएनए टेस्ट पर आकर रूका है। मामला जनपद के थानाक्षेत्र झिझाना के गांव अहमदगढ का है जहां के निवासी किसान चन्द्रपाल का भैसा लगभग छह माह पूर्व चोरी हो गया था जिसकी सूचना चन्द्रपाल ने पुलिस चैकी अहमदगढ सहित डीआइजी सहारनपुर से भी की थी। लेकिन पुलिस ने उसके भैसे को ढुढने का कोई प्रयास नही किया। थकहार कर जब चन्द्रपाल ने स्वयं अपने भैसे की तलाश आरम्भ की तो पता चला कि सहारनपुर के बीनपुर गावं के एक के पास उसका भैसा बधा हुआ है।
भैसे की जानकारी मिलने पर उसने यह बात पुलिस को बतायी। पुलिस द्वारा जांच के दौरान जिसके पास भैसा बंधा हुआ था उस किसान ने भैसे को अपना बताया। भैसे के स्वामित्व का पता न चलने पर चन्द्रपाल ने कहा की भैसे का डीएनए टेस्ट कराया जाना चहिए जिसस पता चल जायेगा भैसा किस पिता का है।
किसी जानवर के डीएनए टेस्ट कराये जाने की अनोखी मांग उठने के मामले पर शामली के एसपी सुकीर्ति माधव का कहना था कि इस अनोखे मामले की जानकार उन्हे है। पीडित किसान चन्द्रपाल को बुलाया गया है। पुूरी छानबीन के बाद जो भी उचित कार्यवाही बनेगी उसे ही किया जायेगा।