गुडों और पुलिस में सांठगांठ का लगाया गया है गम्भीर आरोप
कोलकाता पश्चिम बंगाल। हाल ही मे ंसम्पन्न हुए राज्य चुनावों के समय तथा उसके बाद चल रही हिसंा से प्रभावित लाखों लोगों के राज्य के भीतर तथा बाहर पलायन का एक बडा मामला सामने आया है। लाखों लोगों की इस समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी डाल गयी हैं जिसमें केन्द्र से इन लोगों की सुरक्षा तथा संरक्षा को लेकर कदम उठाने की मांग की गयी है।
अगले सप्ताह सुनवाई वाली इस याचिका में कहा गया है कि चुनावों के बाद से ही राज्य प्रायोजित गुडों और पुलिस की मिलीभगत से हिसंा जारी है, इस हिसंा से भयभीत लोग विस्थापन को विवश हो रहे है। वे पश्चिम बंगाल के भीतर तथा बाहर के आश्रय स्थलों या फिर शिविरो मे ंरहने को मजबूर हो रहे हैं। बताया गया है कि इस तरह के विस्थापित लोगों की संख्या एक लाख से भी उपर है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत शरण तथा जस्टिस बी आर गवई की पीठ के समक्ष दायर इस याचिका की सुनवाई के लिए वरिष्ठ एडवोकेट पिंकी आनन्द द्वारा जल्द सुनवाई की मांग की गयी है।
याचिका मे कहा गया है कि जिस तरह से राज्य के समर्थक गुण्डो और उनको सरंक्षण दे रही पुलिस द्वारा हिंसा फैलाई जा रही है और उसके कारण बंगाल के लोगों के अस्तित्व पर संकट खडा हो गया है और लोग पलायन को विवश हो रहे है यह एक गम्भीर मानवीय मुददा है। यह भारतीय सविंधान की धारा 21 का साफ तौर पर उल्लंधन हो रहा है। याचिका मे केन्द्र सरकार से मांग की गयी है िकवह धारा 355 के तहत अपने कर्तव्य का पालन करें और राज्य को आतंरिक अशाति से बचायें। केन्द्र राज्य में हो रहे बलात्कार, राजनीतिक हिसा, टारगेटेड हत्या सहित अन्य घटनाओं के लिए एक एसआइटी का गठन कर उनकी जाचं कराये। साथ ही विस्थापित लोगों के लिए उचित शिविर, दवाओ, भोजन तथा जीवन रक्षक वस्तुओं की तत्काल व्यवस्था करें।
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