चुनाव में भेज संक्रमण की भेट दि सरकार ने….
अब शिक्षक का वेतन काट कर मरहम लगाने की सलाह देता प्राथमिक शिक्षक संघ*……
हास्यास्पद पहल
लखनऊ ! कभी अपने हक की लड़ाई लड़ने में असमर्थ शिक्षकों का प्रतिनिधि करता शिक्षक संघ आज शिक्षक का नहीं सरकार का प्रतिनिधि हो गया है
वाकई प्राथमिक शिक्षक संघ दिनेश शर्मा गुट अब शिक्षक हित में काम ना करके सरकार के हित में काम करने की पुरजोर कोशिश और चापलूसी के स्तर को सर्वोच्च दिखाने में पुरस्कृत होने की प्रथम श्रेणी में खड़ा है। *वाकई अफसोस होता है कभी इतना बड़ा शिक्षक हितेषी संगठन जो बेसिक के सभी शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता था आज इतनी ताकत भी नहीं रखता कि सरकार से करोना संक्रमित शिक्षकों के लिए मुआवजा मांग सके *अपनी नेतागिरी दिखाने की, और सरकार की घुड़की से बचने का उन्होंने बहुत ही आसान तरीका चुना कि सभी शिक्षकों का वेतन एक दिन का वेतन काटकर शिक्षकों को मुआवजा दिया जाए।
क्योंकि इससे ना सरकार का विरोध करना पड़ेगा और ना ही अपनी जेब से कुछ भी सहायता राशि किसी को देनी पड़ेगी वाकई कायरता की चरम सीमा है
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय पदाधिकारियों को अपने घर चूड़ियां पहन कर बैठ जाना चाहिए क्योंकि संघर्ष की ताकत, हक की लड़ाई लड़ने की कवायद इनकी रही नहीं
आए दिन दिए जाने वाले बेतुके बयान देखकर ऐसा लगता है अब इन संगठनों को वाकई खत्म कर देना चाहिए , या युवा पीढ़ी को शिक्षकों के लिए बने हुए संगठनों की कमान दे देनी चाहिए।
इतने सालों से प्रांतीय पदों पर काबिज यह निरीह प्राणी शिक्षकों की बीमा राशि 87 रुपए से बड़वा नहीं पाई वह भी मैंने सुना है कि एलआईसी ने 2 साल पहले बीमा देने से मना भी कर दिया है और यदि मना कर दिया है तो यह पैसा कहां जा रहा है यह भी पूछने की तथाकथित शिक्षक हितैषी ठेकेदारों की हिम्मत भी नहीं हुई
किसी न किसी प्राइमरी व जूनियर स्कूल के शिक्षक होने के बावजूद खुद को किसी कैबिनेट मंत्री से नीचे ना समझने वाले इन प्रांतीय पदाधिकारी ..महानुभाव संगठन में लाखों का चंदा रखने वाले, यह नहीं सोचा कि क्यों ना शिक्षकों की मदद के लिए “पहल टीम “की तरह कोई सार्वजनिक टीम बना सके और अकस्मात शैक्षिक मदद शिक्षकों तक पहुंचा सके।
इसके पहले भी तथाकथित कई संगठनों ने 1 दिन के शिक्षक का वेतन कटवा दिया डेढ़ साल से DA आपदा की भेंट चढ़ चुका है आगे भी मिलेगी इसकी कोई गुंजाइश नहीं दिखती*।
यह बात अलग है कि वोट की राजनीति में सरकार चुनाव से पहले कुछ घोषणा कर दे बाकी ना तो सरकार के पास बजट बचा है और ना ही इन संगठनों के पास उसे वापस ले लेने की ताकत
क्योंकि इन्हें तो सरकार के हित में काम करना आता है शिक्षकों के नहीं*…….
हास्यास्पद लगता है जब सरकार एस्मा लगाती है तब शिक्षक और कर्मचारियों के बने संगठन के पुरोधा हाय तौबा करते हैं कि क्यों लगा दिया जबकि शायद ही हम सब ने पिछले कई वर्षों से किसी हड़ताल को होते देखा हो
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिये लगाया जाता है
एस्मा अधिकतम छह महीने के लिये लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय हैआप सभी शिक्षक और कर्मचारी याद करके बताइए कि पिछले कई वर्षों में इन संगठनों ने *शिक्षक और कर्मचारी हित में हड़ताल की कब……..
शिक्षक हितेषी कहने पर इन संगठनों को शर्म आनी चाहिए जो बरसों से शिक्षक हित की राजनीति कर रहे हैं और शिक्षकों के जीवन की सुरक्षा के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया….. शिक्षक के पास अपना इलाज करा लेने की सुविधा है कोश लेस नहीं हैइस महामारी में कितने शिक्षक ही पैसे के अभाव में इलाज कराने की व्यवस्था के कारण हम सबके बीच नहीं रहेऔर आज भी कितने शिक्षक और उनका परिवार किसी गंभीर बीमारी से पहले ही मर जाना अच्छा समझते हैं क्योंकि उनके पास ना तो कैशलेस इलाज की सुविधा है और ना ही इतनी जमा पूंजी*. ……सभी को बेचारा शिक्षक और उसका वेतन दिखाई देता है……….।
वाकई आज बेचारा शिक्षक अपनी असुरक्षा और अपने वेतन पर गड़ी हुई इन संगठनों के गिद्ध निगाहों से बहुत ही परेशान है, कोरोना महामारी में यदि किसी परिवार में यह संक्रमण पहुंच गया वहां कर्जा लेकर इलाज कराना पड़ा क्या किसी ने उन निजी शिक्षकों से पूछा कि आप अपने वेतन को देना चाह रहे हैं या नहीं
प्राथमिक शिक्षक संघ पहले खुद मनन करें कि उसके संगठन में कितने लोग जुड़े हुए हैं क्योंकि आज इतने संगठन है और सभी संगठनों के पास अपने शिक्षक तो फिर यह किस आधार पर सभी शिक्षकों का ठेका लेकर उनका वेतन कटवाने की बात कह सकते हैं
वाकई शिक्षकों को कैशलेस इलाज और दुर्घटना बीमा तथा पुरानी पेंशन जो भी संगठन दिला दे वही सच्चा शिक्षक कर्मचारी हितैषी संगठन है* बाकी तो सिर्फ चंदे और खुद को सरकार की तैसी दिखाने की होड़ लगी है शिक्षक को पूछता है कौन है??????
यहां गलती आम शिक्षकों की नहीं सरकार की है अतः संगठनों को मृतक परिवारों को उचित सहायता मिल जाए इसके लिए सरकार से पुरजोर तरीके से मांग रखनी चाहिए मृतक परिवारों को उनके हक और अधिकार को दिलाने की जरूरत है ना की ना कि इस तरह खैरात में एक दिन का वेतन देकर उनके ऊपर दया करनी चाहिए*।
आज मृतक परिवारों को अपने हक और अधिकार की दरकार है
आम शिक्षक कीआज की विषम परिस्थितियों में दुखी मनोदशा के साथऐसी बेतुकी मांग रखने वाले शिक्षक संगठनों को भावभीनी श्रद्धांजलि
आम शिक्षक की वेदना
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