गोंडा ! प्राइमरी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम के बेहतरीन परिणाम आने लगे हैं …. डीएम के आदेश के बाद अब तक जिले के 227 प्राथमिक विद्यालयों में टाइल्स लगवाकर सुन्दरीकरण कराने के साथ ही वाॅल पेन्टिंग व अन्य कार्य कराए जा चुके है। प्राथमिक विद्यालयों व उच्च प्राथमिक के साथ लगभग एक हज़ार सरकारी स्कूलों का कायाकल्प किया गया है …. जिला प्रशासन का दिसम्बर के अंत तक जिले के लगभग तीन हज़ार सरकारी स्कूलों के भवनों का स्तर बदलने का लक्ष्य है। इस समय प्राइमरी विद्यालयों का जो नज़ारा देखने को मिल रहा है वह वाकई में काबिले तारीफ है …. विद्यालयों की खूबसूरती देखते ही बनती है …. इन प्राथमिक विद्यालयों की सुंदरता कान्वेंट स्कूलों के भवनों को टक्कर दे रही है और इसी वजह से हम कह रहे है कि यह कान्वेंट नही सरकारी स्कूल है।
लेकिन सौ टके का यह यक्ष प्रश्न अभी भी कायम है की क्या विद्यालयों की भौतिक दशा सुधारने के साथ शिक्षकों का शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए भी कोई प्रयास किया जाएगा भी या नहीं ?
गांवों के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले देश के नौनिहालों को शानदार शैक्षिक वातावरण देने तथा प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की घट रही संख्या को सुधारने के लिए ग्राम प्रधानों को निर्देश दिए हैं कि वे राज्य वित्त व चौदाहवें वित्त से प्राथमिक विद्यालयों व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में चौदाहवें वित्त आयोग और राज्य वित्त आयोग के बजट से टाइल्स, बाउन्ड्रीवाल, वाल पेन्टिंग, शौचालय सहित अन्य आवश्यक कार्य प्राथमिकता के आधार पर कराएं। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के प्रयास के तहत लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ एक्शन लेने के साथ ही साथ बेसिक शिक्षा अधिकारी को सख्त निर्देश दिए जा चुके हैं।
आपरेशन कायाकल्प के तहत पंचायतीराज विभाग के माध्यम से जिले के 227 प्राइमरी/जूनियर स्कूलों में राज्य वित्त व चौदाहवें वित्त आयोग से टाइल्स लगवाकर सुन्दर बनवाया गया है। इसके अलावा 102 विद्यालयों में बाउण्ड्रीवाल, 102 गेट, 481 स्कूलों में सुन्दर शौचालय, 85 स्कूलों में पेयजल व्यवस्था, हैण्डपम्प की मरम्मत/रिबोर तथा 03 विद्यालयों में विद्युतीकरण सहित कुल एक हजार से अधिक कार्य कराए जा चुके हैं जिस पर अब तक लगभग पौने सात करोड़ रूपए से अधिक धनराशि खर्च की जा चुकी है। डीएम प्रभांशु श्रीवास्तव ने बताया कि प्राइमरी स्कूलों में गन्दगी व अन्य बेसिक सुविधाओं की कमी तथा अच्छी शैक्षिक गुणवत्ता की कमी से अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने से कतराते थे परन्तु अब जिले में तेजी से सुधार देखने का मिल रहा है। उन्होने बताया कि आज की तारीख में जिले में तमाम प्राइमरी व जूनियर हाई स्कूल इतने खूबसूरत बन गए हैं जो कि किसी कान्वेन्ट स्कूलों से कम नहीं है।
डीएम ने ग्राम प्रधानों व स्कूलों के प्रधानाध्यापकों का आहवान किया कि वे अपनी ग्राम पंचायत के ऐसे विद्यालयों में टाइल्स आदि के साथ ही अन्य कार्य कराकर सुन्दर बनवाने का काम करें जिससे बच्चे व अभिभावक आकर्षित हों और बेहतर शैक्षिक वातावरण बन सके। डीएम की इस बेहतरीन पहल पर ग्राम प्रधानों के बीच जहां एक ओर एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है तो वहीं प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की संख्या में इजाफा व शिक्षा के स्तर में तेजी से सुधार देखने को मिल रहा है।
शासन प्रसाशन सहित विद्यालयों की भौतिक दशा सुधारने में लगी संस्थाओं को धन्यवाद दिया जा सकता है लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है की अपने विभिन्न रिपोर्टो के माध्यम से मीडिआ बराबर शासन प्रशासन का ध्यान विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के वास्तविक योग्यता की और दिलाती रही है जिसमे उनके सामान्य ज्ञान के साथ साथ उनके शैक्षिक स्तर की भी पोल खुलती रही है जिनकी वजह से विद्यालयों में अध्धयनरत बच्चो के भविष्य के साथ साथ देश के भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है, क्या सरकार ऐसे नाकारा शिक्षकों को हटा कर योग्य शिक्षकों को तैनात करेगी जिससे देश के भविष्य पर खड़ा हो रहा प्रश्न चिन्ह समाप्त हो सके और बच्चो को उचित शिक्षा के साथ उनका ज्ञानवर्धन हो सके और विद्यालयों की भौतिक दशा के साथ साथ उसका शैक्षिक स्तर भी सुधर सके !