बच्चें का एडमीशन न होने से था परेशान, सरकार के निकम्मेपन से आजिज आ उठाया कदम
पुणे (महाराष्ट्)। अब इसे महाराष्ट् सरकार की नाकामी कहा जाये या फिर शिक्षा व्यवस्था की बेतरतीबी, एक व्यक्ति को महज इसलिए सचिवालय मे बम रखने की बात कहनी पडी कि उसके बच्चे को किसी स्कुल मे एडमीशन नही मिल रहा था। अपनी इस परेशानी से बुरी तरह त्रस्त व्यक्ति ने सरकार का इस समस्या की ओर ध्यान खीचने के लिए सचिवालय में बम रखने की झूठी अफवाह उडानी पडी। हालाकि पुलिस की छानबीन मे बम तो नही मिला उल्टे परेशान व्यक्ति की परेशानी और बढ गयी, उसे पुलिस ने गिरफतार कर लिया।
चैकाने वाला यह मामला पूणे के गोरपडी क्षेत्र के रहने वाल शैलेश शिंदे से जुडा है। मिल रही जानकारी के अनुसार श्री शिंदे पिछले काफी समय से अपने बच्चे के एडमीशन केा लेकर बेहद परेशान थे, बच्चे के प्रवेश को लेकर वह कई स्कूलों के चक्कर लगा चुके थे लेकिन कही भी उन्हे सफलता नही मिल रही थी। खास बात तो यह है कि अपनी इस परेशानी ओर स्कूलों की मनमानी को लेकर उन्होनंें सरकार को मेल के माध्यम से शिकायत भी की थी लेकिन उनके किसी भी शिकायत को सरकार ने गम्भीरता से नही लिया।
अपनी परेशानी और उस पर सरकार की निष्क्रियता से आजिज आकर शेलेश ने गृह विभाग के मेल पर इस आशय का एक संदेश भेजा कि सचिवालय में बम रख दिया है। हैरानी की बात तो यह है कि शैलेश की परेशानी पर मिले मेल पर निष्क्रिय रहने वाला सरकारी तत्रं बंम की बात आते ही सजग हो जाता है और आनन फानन मे पुलिस को अलर्ट कर दिया जाता है। इसके साथ ही बम स्क्वायड भी सचिवायल पहुचा जाता है ओर छानबीन शुरू कर दी जाती है।
पुलिस की छानबीन में जहंा सचिवालय मे कोई बम नही मिला वही पुलिस ने जांच करते हुए शैलेश को उसके घर से गिरफतार कर लिया। साथ ही उसके विरूद्व मामला भी दर्ज कर लिया। यहंा यह बात भी ध्यान देने वाली है कि लोकतंत्र में जहंा आम आदमी की सरकार का होना बताया जाता है वहां आम आदमी की परेशानी उसके ही सरकार के लिए कितनी महत्व रखती है इस घटना से आसानी से जाना जा सकता है। यदि सरकार ने शेलेश की परेशानी पर समय रहते प्रभावी कदम उठा लिया होता तो शैलेश को जहंा परेशानी से मुक्ति मिल जाती वही उसके विरूद्व मुकदमा भी दर्ज नही होता। यह घटना एक तरह से जहंा सरकारों के औचित्य पर सवालिया निशान लगाता है वही इस बात को भी प्रमाणित करता है कि हमारे लोकतंत्र की अवधारणा कितनी खोखली है।