आरोपी के डीएनए जांच की मांग से बौखलाई महिला ने बच्चे को उतारा मौत के घाट
जिलाधिकारी, एसपी के हस्तक्षेप के बाद भी थाने की पुलिस कार्यवाही से कर रही आनाकानी
पीड़ित ने लगाईं राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग से गुहार
मोतीगंज (गोण्डा)। क्या कोई मां अपने नवजात बच्चे ंको मात्र इसलिए मौत के घाट उतार सकती है कि उसके द्वारा किसी पर लगाये गये बालात्कार के आरोप गलत न साबित होने पाये क्योंकि आरोपी ने डीएनए जांच कराने की मांग प्रशासन के समक्ष रख दी थी। हैरानी तो इस बात की है कि स्थानीय पुलिस मामले में जिलाधिकारी और एसपी के सीधे हस्तक्षेप के बाद भी कार्यवाही करने से आनाकानी कर रही है।
प्रकरण जिले के थाना मोतीगंज अन्र्तगत ग्राम भटकहवा का र्है। राष्ट्ीय मानवाधिकारी आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरूण कुमार मिश्र को भेजे अपने फरियाद में गुहार लगाते हुए ग्राम वासी शंकर लाल पुत्र रामचन्दर ने कहा है कि गंाव की ही महिला संध्या पत्नी अमरजीत ने मेंरे भाई खुशीराम पर बलात्कार का झूठा आरोप लगाया जिसमें वह जेल मे ंनिरूद्व है। मेरे भाई ने अपने उपर लगाये गये आरोपों से इन्कार करते हुए डीएनए टेस्ट की मांग उठाई है।
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ज्ञात हो कि महिला सध्या ने विगत 25 मई को एक पुत्र को जन्म दिया, मेरे भाई द्वारा किेय गये डीएनए जांच की मांग से बचने के लिए बच्चे की मां संध्या, पति अमरजीत, नकछेद, इन्द्रपति सांयकाल ही जान से मार दिया और उसे पास की ही झाडी मे ंदफन कर दिया। बच्चे की हत्या किये जाने की सूचना पुलिस केा देने पर डायल 112 ने मौके पर पहुंच कर भी बिना कोई कार्यवाही किये वहां से चली गयी।
मामले की जानकारी जब लिखित तौर पर एसपी ओर जिलाधिकारी को दी गयी तो उनके आदेश पर बच्चे के शव को कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम कराया गया जिसमें इस बात को दर्शाया गया कि बच्चे की मौत उसे लगे चोट के कारण हुयी है जिससे यह बात साबित होती है कि बच्चे की मौत स्वाभाविक नही बल्कि उसकी हत्या की गयी है। और उसका एक ही कारण हो सकता है कि डीएनए जांच में इस बात की पुष्टि हो जाती की सध्या द्वारा लगाया गया बलात्कार का आरोप गलत है।
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शंकरलाल का कहना है कि इस बात के पुख्ता प्रमाण होने के बाद भी कि बच्चे की हत्या की गयी है स्थानीय पुलिस आरोपियों के विरूद्व मुकदमा दर्ज करने से आनाकानी कर रही है।
अध्यक्ष मानवाधिकार आयेाग से गुहार लगात हुए शंकरलाल ने कहा है कि हत्या और साक्ष्य छुपाने के आरोप मे इन सभी आरोपियों पर तत्काल मुकदमा दर्ज करने के साथ ही इतने गम्भीर मामले में स्थानीय पुलिस की हीलाहवाली पर उनके विरूद्व भी कडी कार्यवाही की जाये।
वही जब इस विषय पर थानाध्यक्ष मोतीगंज से बात करने की कोशिश की गयी तो उनका सीयूजी नम्बर हमेशा की तरह नाटरिचेबल ही बताता रहा।