गुप्तचर एजेंसियों की नाकामी के साथ काकोरी क्षेत्र के निवासियों पर भी उठ रही उंगली
काकोरी लखनउ। एक के बाद एक अर्न्तराष्ट्ीय आतंकवादी संगठनो के आतंकियों की काकोरी क्षेत्र में होने की जानकारी अपने आप में जहां चौकाने वाली है वही यह इस बात को भी प्रमाणित करने वाली है कि इस क्षेत्र में इन्हें शरण देने वालों की तादाद भारी मात्रा मे है। ज्ञात हो कि मात्र साढे चार वर्ष पहले ही इसी थाना क्षेत्र से आईएसआईएस के एक आतंकी को पुलिस ने मार गिराया था और आज फिर इसी थाना क्षेत्र के दो अलकायदा के आतंकवादियों के पुलिस ने गिरफतार कर इस पूरे क्षेत्र के सभी निवासियों की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया है।
ज्ञात हो कि लखनउ पुलिस को अलकायदा के इन दो आतंकवादियों की जानकारी तब मिली जब उसने सोमवार को एक गिरफतारी की और उससे इस क्षेत्र में अलकायदा के आतंकवादी छिपे है ओैर किसी बडी वारदात को अंजाम देने की फिराक मे है। जानकारी पर लखनउ पुलिस और एटीएस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए काकोरी स्थित सीता बिहार कालोनी को पूरी तरह से घेर लिया और घंटों चले अभियान के बाद अलकायदा के दो आतंकवादी वसीम और शाहिद उर्फ गुडडु को गिरफतार कर लिया।
प्ुलिस और एटीएस को इस गिरफतारी के बाद मकान के लिए गये तलाशी में भारी मात्रा मे विस्फोटक के साथ कुकर बम भी बरामद किया है। बताया जा रहा है इनके निशाने पर भाजपा के कई बडे नेता थे। खास बात तो यह है कि जिस मकान से इन आतंकवादियों को गिरफतार किया गया है उसके ठीक पीछे केन्द्रीय मंत्री कौशल किशोर का घर है।
ब्ताया जा रहा है मकान शाहिद का है उसके यहां पर एक नही बल्कि पांच मकान है जिसमे ंसे सभी को उसने किराये पर उठा रखा है। पहले तो आईएसआईएस का आतंकवादी और फिर अलकायदा। इन दोनों घटनाओं ने जहां लखनउ पुलिस ओैर एटीएस की बहादूरी और तत्परता को साबित किया है वही इस बात को भी साबित किया है कि कही न कही प्रदेश की राजधानी में ही सरकार का खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल हो गया है और उसकी इसी नाकामी ने काकोरी थाना क्षेत्र को अलकायदा सहित आइ्र्रएसआईएक का नया अडडा बना दिया है।
ज्ञात हो कि आज से लगभग साढे चार वष्र पहले वर्ष 2017 में इसी थाना क्षेत्र के हाजी कालोनी में लम्बे चले आपरेशन के बाद आईएसआईएस के आतंकी सैफुल्लाह को मार गिराया था। बताया जा रहा है कि आतंकी सैफुल्लाह जिस मकान मे किराये पर रह रहा था वह मलिहाबाद निवासी एक व्यक्ति का था। लगभग 36 घंटे चले इस आपरेशन में जहां सैफुल्लाह मारा गया था वही उसके घर से भारी मात्रा मे असलहे और विस्फोटक भी बरामद किये गये थे। एटीएस के मुताबिक सैफुल्लाह प्रधानमंत्री मोदी की होने वाली रैली मे ंविस्फोट की घटना को अंजाम देने की फिराक मे था।
सबसे खास बात तो यह है कि इस घटना के बाद होश मे आयी लखनउ पुलिस ने इस क्षेत्र मे सभी किरायेदारों के सत्यापन का जो अभियान चलाया था वह समय के साथ ही बिना अपनी पूरी कार्यवाही के दम तोड गया आैंर आतंकवादी इस क्षेत्र को अपना पनाहगाह बनाते रहे।
इन दोनों घटनाओ ंने जहां खुफिया ऐजेन्सियों की नाकामी, पुलिस की लापरवाही को ही नही उजागर किया हैं बल्कि इस बात का भी ख्ुलासा कर दिया है कि इस पूरे क्षेत्र मे रहने वाले कही न कही आतंकवादियों के संरक्षण का काम करते है और वे भी इनके द्वारा फैलाये जा रहे आतंवादी घटनाओं को अंजाम देने के सहभागी भी हैं अतं पुलिस को इनके सरंक्षण दाताओं के साथ भी आतंकवादियों जैसा ही सूलूक करते हुए उन पर भी राष्ट्ीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही करनी चाहिए।
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