मोरीगांव (असम)। आर्थिक परेशानियों के चलते असम के एक हिस्से के लोग अपनी किडनी बेचने को मजबूर हो रहे। ऐसा भी नही है कि यहां के सभी लोग किडनी बेचकर ही अपना गुजारा कर रहे है। कुछ लोग ऐसे भी है जिन्हें इस तरह के जीवन यापन से गुरेज है ओैर वे इसका विरोध भी कर रहे हैं ऐसे ही लोगो के कारण किडनी खरीदने का रैकेट चला रहे लोगों का पर्दाफाश हुआ है और पुलिस ने कार्यवाही करते हुए दो लोगो ंको गिरफतार भी किया है।
गरीबी और कोरोना के लाकडाउन के चलते भुखमरी के कगार पर पहुचें मोरीगावं के धर्मातुल गावं के कुछ लोग अपनी अपनी किडनी बेचने लगे। इन्हे अपनी किडनी बेचने के लिए उकसाने वाले लोगो को यही के कुछ अन्य व्यक्तियों ने उस समय पकड लिया जब वे किडनी बेचने वाले कुछ लोगो को उनकी किडनी निकलवाने के लिए लेकर जा रहे थे। बताया जा रहा है इस क्षेत्र के ज्यादातर लोग या तो दैनिक मजदूरी करते हैं या फिर छोटे मोटे किसान है। कोरोना के चलते लगे लाकडाउन मे इनमे से काफी लोग भुखमरी के शिकार होने लगे थे, फिर क्या था मौका पाकर समाज के अराजक तत्वों न उन्हें किडनी के बदले अच्छे खासे पैसे मिलन का लालच देने लगे और कई लोगों की किडनी निकलवा दी।
लोगों ने बताया िकइस रैकेट मे शामिल लोग उन्हे लेकर कोलकाता गये और वहा पर उनका आपरेशन कर किडनी निकाली गयी है। किडनी निकलवाने का विरोध करने वालो ंने इस रैकेट मेें शामिल चार लोगों को पकड कर पुलिस के हवाले कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस रैकेट मे पकडा गया प्रमुख व्यक्ति गुवाहाटी का निवासी लिलीमई बोडो नाम कर व्यक्ति है। लोगो ंने बताया कि वह गरीब लोगो को उनके किडनी के बदले चार से पाचं लाख रूप्ये का लालच देता था। लेकिन उसमे से स्वयं एक से लेकर डेढ लाख रूप्ये अपनी कमीशन के रख लेता था।