2015 के पंचायत चुनावों मे पत्नी की फर्जी मार्कशीट पर अभिभावक के रूप मे किये थे हस्ताक्षर
सारडा (राजस्थान)। कहने को तो जनसेवा लेकिन जनसेवा के नाम पर मलाई काटने के लिए की जा रही राजनीति किस कदर भ्रष्ट हो चुकी है इसका अंदाजा इस प्रकरण से आसानी से लगाया जा सकता है। सत्ता हथियाने ओैर उस पद के जरिये लाभ कमाने का नशा इतना हावी हो चुका है कि उसके लिए हमार जनप्रतिनिधि फर्जीवाडा भी करने से नही हिचक रहे। ताजा मामला भी कुछ इसी तरह का है जिसके आरोपी साबित हुए भाजपा विघायक को अदालत ने जेल भेज दिया है।
मामला उदयपुर के संलूबर विधानसभा से भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा और उनकी पत्नी से जुडा हुआ है। बताया जा रहा है वर्ष 2015 में सम्पन्न हुए पंचायत चुनावो मे वधायक मीणा ने अपनी पत्नी कां सरपंच का चुनाव लडाया था जिसमें उन्होनें पत्नी के फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये थे तथा उस पर अपने अभिभावक के रूप् मे हस्ताक्षर भी किये थे।
मामले में सारडा पुलिस डीएसपी डीएस चुडावत ने जानकारी देत हुए बताया कि सोमवार को सारडा की अदालत मे विधायक मीणा ने आत्मसर्मपण किया लेकिन उनकी अतंरिम जमानत याचिका अदालत ने खारिज करते हुए उन्हें आगामी 23 तक के लिए जेल भेजे जाने के आदेश दे दिये है। बताया तो यह भी जा रहा है कि विधायक मीणा की पत्नी शांतादेवी के ििवरूद्व भी आरोप पत्र पेश किये जा चुके है और वह इस समय जमानत पर चल रही है।
फर्जीवाडे का यह मामला तब सामने आया जब शांतादेवी के विरूद्व मैदान मे उतरने वाली शुगना देवी ने यह आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था कि शांतादेवी ने चुनाव नामांकन मे फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र जमा किये है। जांचोपरांत आरोप सही पाये गये थे। खास बात तो यह है कि राज्य में पूर्व की भाजपा सरकार ने ही यह व्यवस्था बनायी थी कि पंचायत तथा निकाय चुनावो मे शैक्षिक योग्यता अनिवार्य की जा रही है। हालाकि मौजूदा कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2019 मे विधेयक द्वारा इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया है।