पान वालों ने कोरोना काल में ही खरीद लिए पांच करोड की सम्पत्ति
कानपुर। बडे बडें बंगलें मे रहने वाले, महंगी महंगी गाडियो मे घूमने वाले तथा हाईफाई लाइफस्टाइल वाले करोडपतियों और अरबपतियों को तो आपने देखा भी होगा और उनके बारें मे ंजानते भी होगें लेकिन आप शायद ऐसे किसी भी करोडपति को नही जानते होगें जो चाट के ठेले लगाता हो, पान की गुमटी रखता हो या फिर खस्ता समोसे की दुकान चलाता हो। ऐसे एक दो नही बल्कि 256 करोडपतियों को खुलासा किया हैै आयकर विभाग की नयी तकनीक ने जिसे बिग डेटा साफटवेयर कहा जाता है। खास बात तो यह है कि आज हम आपकों इस तरह के करोडपतियों की जो जानकारी देने जा रहे है वह मात्र कानपुर के ही है, आने वाले समय में आयकर विभाग इसी तरह का अभियान पूरे देश मे चला सकती है जिसमें और भी बडे बडे खुलासे हो सकते है।
विगत दिनों कानपुर आयकर विभाग ने बिग डेटा साफटवेयर तथा जीएसटी पंजीयन की जांच अपने तरीके से की तो उसे जो परिणाम मिले वह काफी चौकाने वाले मिले, जांच मे यह पता चला कि कानपुर मे ऐसे करोडपति लोग है जो बहुत ही छेाटे मोटे काम करते हैं जैसे कुछ उसमे से पान की गुमटी चलाते हैं, कुछ चाट पकौडी का ठेला तथा खस्ता समोसे के ठेले लगाते हैं, सडक किनारे ठेले लगाने वाले इन छोटो कारोबारियों के साथ साथ फुटकर फल व्यापारी तथा छोटे किराना तथा दवा व्यवसायी भी मिले।
जाचं में यह पता चला कि ये लोग न तो आयकर को एक पैसे का टैक्स दे रहे हैं और न ही जीएसटी। बताया जा रहा है आयकर विभाग की निगाह ऐसे व्यापारियेां पर बहुत पहले से ही लगी हुयी थी ओैर वह इनके बारे मे पूरी जानकारी इकटठा कर रही थी। आयकर विभाग के जाचंे मे जो जानकारी सामने आयी वह काफी चौकाने वाली थी। पता चला कि इनमें से कुछ लोग ऐसे थे जिन्होनें विगत चार वर्षो मे ही दो चार करोड नही बल्कि पूरे पौने चार सौ करोड रूप्ये की सम्पत्ति खरीदी है। बताया गया कि ये सम्पत्तियां किसी आम क्षेत्र मे नही बल्कि कानपुर के वीआईपी क्षेत्रों मे ंखरीदी गयी है जिनमें से आर्यनगर, स्वरूपनगर, बिरहाना रोड, हुलागंज, पी रोड, गुमटी जैसे इलाकें हैं जो कानपुर के वीआइपी क्षेत्र माने जाते हैं।
जाचं मे यह भी सामने आया कि इनमें से कुछ ने तो इस दौरान 30 करोड रूप्ये से भी अधिक के किसान विकास पत्र ही खरीद डाले हैं। इतना ही नही यह लोग कानपुर से लेकर फरूखाबाद तक के क्षेत्र में सौ पचास नही बल्कि पूरे छह सो पचास बीघा जमीन के स्वामी भी बन बैठे है।
आयकर विभाग के सूत्रो से मिल रही जानकारी के अनुसार इन मामलो ंका पता इस लिए चल सका कि इन लोगों ने चालाकी तो दिखाई लेकिन वह उसमे कामयाब नही हो पाये, इन लोगों ने अपनी होशियारी बरतते हुए ये सम्पत्तियां अपने परिजनो के नाम से खरीदी तो लेकिन अपना पैन कार्ड लगा दिया जिससे सारा कच्चा चिठठा सामने आ गया। अब आयकर विभाग इन छुपे हुए धन्नासेठो पर कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा हैं। जबकि आयकर विभाग के खुलासे से इन सेठो मे भय व्याप्त होता दिखाई दे रहा है।
इस प्रकरण में सबसे ख़ास बात तो यह ही की ये खुलासा मात्र कानपूर जिले का है अब विभाग इस तरह के छुपे हुए धन्नासेठो को पूरे देश में सामने लाने की तयारी कर रही है जो कमाते तो करोडो हैं लेकिन टैक्स ढेला भर भी नही देते !