लोकायुक्त से हुयी शिकायत पर जिलाधिकारी द्वारा कराये गये जांच में मिले भ्रष्टाचार पर हुयी कार्यवाही
गोण्डा। संभवतः गोण्डा के इतिहास में अबतक किसी उपायुक्त स्तरक े अधिकारी पर भ्रष्टाचार के मामलों में एफआईआर दर्ज नही की गयी थी जिसे जिलाधिकारी मार्कन्डेय सिंह ने अपने जनकल्याणकारी कार्यो और भ्रष्टाचार पर चोट की नीति से साकार कर दिया है। प्रदेश सरकार सहित केन्द्र की योजनाओं मे ंप्रधान, विभागीय कर्मचारियों सहित उपायुक्त श्रम रोजगार पर दो दिन पूर्व प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। यह प्राथमिकी उस शिकातय के जांचोंपरांत दर्ज की गयी है जिसमे गावं के ही एक निवासी ने लोकायुक्त से की थी। लोकायुक्त से मिले निर्देश के बाद जिलाधिकारी ने जांच करायी थी।
मामला जिले के थाना मोतीगंज के ग्राम बेसहुपुर का है जहां के निवासी देवीप्रसाद चैबे ने लोकायुक्त से शिकायत की थी कि उनके ग्राम में काउ शेड, गौ आश्रय केन्द्र सहित मनरेगा के कामों में भारी धाधली की गयी है जिसके चलते लाखों रूप्ये का बंदरबाट प्रधान सहित उच्चाधिकारियों द्वारा की गयी है। देवीप्रसाद चैबे की इस शिकायत को लोकायुक्त ने गम्भीरता से लेते हुए शिकायत की जांच कराने ओैर उचित कार्यवाही किये जाने के निर्देश जिलाधिकारी को दिये थे। जिस पर जिलाधिकारी ने सीडीओ सहित तीन सदस्यी जाचं कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिये थे। जांच में सभी आरोपों के सही पाये जाने पर जिलाधिकारीे आदेश पर मंगलवार को तत्कालीन उपायुक्त श्रम रोजगार हरिश्चंन्द प्रजापति, पूर्व ग्राम प्रधान सुुरजीत कुमार, लेखाकार प्रथम नंदश्याम, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी उमेश वर्मा, तकनीकी सहायक राकेश वर्मा, वीडीओ अमरजीत तथा रोजगार सेवक राधेश्याम पर मोतीगंज थाने मे ंप्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है। यह प्राथमिकी जिलाधिकारी के आदेश पर एडीओ पंचायत दिलीप कुुमार उपाध्याय द्वारा दर्ज करायी गयी है।
जाचंोंपरांत सामने आये भ्रष्टाचार के मुताबिक गांव में कराये गये काउ शेड भारी अनियमितता पायी गयी। स्वीकृत 103 काउशेड के सापेक्ष मात्र 98 काउ शेड का निर्माण किया गया और वह भी मानक के विपरीत आधे अधूरंा। इसी क्रम मे निर्माण कराये गये स्वीकृत दो गौ आश्रय केन्द्र की जगह एक ही निर्मित पाया गया जबकि भुगतान दोनों गौ आश्रय केन्द्र का कर दिया गया है।
इतना ही नही गांव मे ंअपात्र लोगो को मनरेगा का जाबकार्ड बना दिया गया जिसके चलते लाखों रूप्ये के शासकीय धन का दुरूपयोग किया गया। जांच मे पाया गया कि इन विभिन्न तरीकों से किये गये भ्रष्टाचार के माध्यम से लगभग 37 लाख रूप्ये का बंदरबांट किया गया है। इस भ्रष्टाचार में तत्कालीन उपायुक्त श्रम रोजगार हरिश्चन्द्र प्रजापति, पूर्व ग्राम प्रधान सुरजीत कुमार सहित अन्य कर्मचारी दोषी पाये गये हैं।
थाना मोतीगंज मे तत्कालीन उपायुक्त श्रम रोजगार सहित अन्य पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 419, 420, 409, 467, 468, 471 में मामला दर्ज किया गया है। जिसकी जाचं उपनिरीक्षक राकेश पाल को सौपी गयी है।
लोकायुक्त से की गयी शिकायत पर उनके इसे गम्भीरता से लेने, जिलाधिकारी मार्कन्डेय शाही के निष्पक्ष्ता से जांच कराने तथा शिकायत कर्ता देवी प्रसाद चैबे को एन्टी करप्शन एडं सोशल जस्टिस संगठन के संस्थापक/प्रबध्ंा निदेशक तथा जिले के फायरब्रांड अधिवक्ता पंकज दीक्षित ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि यदि इसी तरह से उच्चधिकारी जन शिकायतों को संजान लेते हुए तत्काल प्रभावी रूप् से कार्यवाही करते रहे तो प्रदेश से भ्रष्टाचार को समाप्त होने में समय नही लगेगा। उन्होनंें विषेश रूप् से जिलाधिकारी के भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम का समर्थन करते हुए उन्हे विषेश रूप से धन्यवाद दिया।