पति द्वारा जबरन सम्बध्ंा बनाये जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनाया कोर्ट ने निर्णय
रायपुर (छत्तीसगढ)। प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक चैकाने वाला निर्णय देते हुए कहा है कि शादीशुदा जोडे के बीच बिना एक दूसरे की सहमति या इच्छा के बनाये गये सेक्स को रेप नही माना जायेगा। कोर्ट ने इस मामले मे आरोपी पति को बाइज्जत बरी कर दिया है।
छत्तीसगढ हाईकोर्ट ने इस आदेश मे कहा है कि कानूनी रूप से शादी कर चुके दो लोगों के बीच यौन सम्बध बनाना भले ही जबरदस्ती से बनया गया हो इसे रेप नही कहा जा सकता। लेकिन यहां यह भी बताना आवश्यक है कि कोर्ट ने आरोपी के विरूद्व अप्राकृतिक योैन सम्बध की धारा 377 को बनाये रखा है जिसके तहत उस पर मामला चलता रहेगा।
ज्ञात हो कि इस मामले मे पत्नी ने अपने सास ससुर पर दहेज की मांग तथा घरेलू हिसां के आरोपो ंके साथ अपने पति को भी आरोपित करते हुए कहा था कि उसके विरोध के बाद भी पति उसके साथ जबरन सम्बध और वह भी अप्राकृतिक तरीके से बनाता है।
मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश एन के चन्द्रवंशी ने कहा कि सक्सुअल इन्टरकोर्स या फिर पुरूष की ओर से ऐसी कोई क्रिया रेप नही कहलाएगी लकिन पत्नी की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि प्रस्तुत मामले मे शिकातयकर्ता आरोपी की वैधानिक पत्नी है ऐसे मे पति द्वारा पत्नी से सम्बध बनाया जाना किसी भी तरह से रेप की श्रेणी मे नही आ सकता, भले ही वह उसकी इच्छा के बिना ही बनाया गया हो। कोर्ट ने इस मामले मे फैसला सुनाते हुए आरेापी पति को रेप के आरोप से बरी कर दिया लेकिन उस पर अप्राकृतिक सम्बध बनाने दहेज उत्पीडन से सम्बधिंत मामले चलते रहेगे।
कोट्र्र ने इस मामले मे एक तरफ जहां अपनी तरफ से न्याय करने की कोशिश की है वही दूसरी ओर कई सवाल भी खडे कर दिये हैं, खासकर ऐसे मामले जिनको मैरिटल रेप की श्रेणी में रखा जाता था। अब सवाल यह खडा होगा कि जबरदस्ती सम्बध बनाये जाने को यदि उचित मान लिया जायेगा तो मैरिटल सेक्स जैसे अपराध को किस मामलो मे माना जायेगा।