(मदन साहू)
बोध वाक्य’ कुसंगति की अपेक्षा अकेले रहना उत्तम है’ पर केंद्रित रहा बेविनार
शिक्षक ही विद्यार्थी को अंतर्मुखी प्रतिभा को निखारकर और आत्मविश्वास जगाकर बनाता है महान-डाॅ पी के खरे
छतरपुर (मध्यप्रदेश) । शासकीय महाराजा कॉलेज छतरपुर में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के द्वारा शिक्षक दिवस पर एक ऑनलाइन बेविनार का आयोजन प्राचार्य डॉ एल एल कोरी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। बेविनार बोधवाक्य “कुसंगति में रहने की अपेक्षा अकेले रहना उत्तम है” पर केंद्रित था।
इस कार्यक्रम में प्रथम आमंत्रित वक्ता डॉ. गायत्री बाजपेई जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है। शिक्षक पारस मणि के समान होता जो भी विद्यार्थी उसके पास विनम्रता से सीखने आता है , उसका कल्याण हो जाता है। आज के समय में शिक्षा वहीं है जो नैतिक मूल्यों के साथ- साथ आर्थिक रूप से सबल बनाए।”
द्वितीय आमंत्रित वक्ता के रूप में डाॅ.पी.के. खरे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि “शिक्षा पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं है, उसका विस्तार जीवन के आंतरिक और बाह्य सद्गुणों को जगाना है। शिक्षक एक कुशल शिल्पकार होता है। वह विद्यार्थियों के मन में कुछ अच्छा करने की आशा और विश्वास जगाता है।
इस अवसर पर वाणिज्य के प्राध्यापक डाॅ सुमति प्रकाश जैन ने भी शिक्षक दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों से हमेशा सुसंगति में रहने की बात कही।
इस कार्यक्रम में कला संकाय की छात्रा कु. नम्रता जैन ने शिक्षकों का सम्मान एक कविता “सीखा तुमसे उसका आभार नहीं हो सकता है” से किया।
विज्ञान संकाय की छात्रा कु. निधि गुप्ता ने सभी गुरुजनों की महानता का बखान करते हुए उनके प्रति काव्यमयी कृतज्ञता ज्ञापित की।
वाणिज्य संकाय से कु. जसिका शर्मा ने भविष्य निर्माण में गुरुजनों के असीम योगदान का वर्णन करते हुए सदैव कुसंगति में रहने की जगह अकेले रहने पर जोर दिया।
छात्र अभिषेक रावत ने संगीतमय गीत ” प्रेम के पर सेवा डगर पर चलना सिखाते हैं गुरुवार” गाकर गुरुजनों का सम्मान किया।
कार्यक्रम का संचालन स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के प्रभारी डाॅ. एन. के. पटेल ने किया। अन्त में डाॅ सुमति प्रकाश जैन ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।