कोटा (राजस्थान)। यू ंतो काग्रेस अपने कार्यकाल मे किये गये तमामों घोटालों के भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व मे अच्छी तरह से विख्यात है। कुछ इसी तर्ज पर अपनी ख्याति बढाने के लिए कांगेेस के ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने जीतेन्द्र सिंह ने अपने ही परिवार की सम्पत्ति को धोखे से हडप लिया। इतना ही नही इसी मामले मे ंउन्होनंें अदालत को भी गुमराह करने का प्रयास किया। अब अदालत ने उनके विरूद्व गिरफतारी वारण्ट जारी कर दिया है।
मामला राजपरिवार की सम्पत्ति से जुडरा हुआ हेैं मिल रही जानकारी के अनुसार बूदीं राजपरिवार के आखिरी वंशज रंजीत सिंह जिनकी कोई संतान नही थी उनकी सम्पत्ति को हडपने के लिए जीतेन्द्र सिंह ने एक फर्जी ट्स्ट का गठन कर उनकी सारी सम्पत्ति को अपने नाम करा लिया। ज्ञात हो कि जीतेन्द्र सिंह रंजीत सिंह के भतीजे है। मामले की शिकातय रंजीत सिंह के मित्र अविनाश कुमार चांदना ने दर्ज करायी थी जिनका दावा है कि रंजीत सिंह अपने आखिरी समय मे उनके दिल्ली स्थित आवास पर उनके साथ ही रहे थे। उनका यह भी दावा है कि रंजीत ंिसह ने अपनी सभी सम्पत्तियो को उनके नाम कर दिया था।
चंादना ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जीतेन्द्र सिंह ने अपनी कुल देवी आशापुरा माता जी के नाम से न्यास का गठन किया और धोखे से रंजीत ंिसह की सारी सम्पत्ति अपने नाम करा ली।
कांगेस सरकार मे केन्द्रीय मंत्री रह चुके जीतेन्द्र सिंह पर यह वारंट सीजेएम की कोर्ट द्वारा जारी किया गया है जिसमे जीतेन्द्र के अलावा उनके ससुर बिजेन्द्र सिह तथा बूंदी के ही पूर्व जिला प्रमुख श्री नाथ सिंह हाडा का भी नाम है। पुूलिस ने यह मामला वर्ष 2017 मेें जीतेन्द्र सहित अन्य दो आरोपियो के विरूद्व आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 तथा 120 बी के तहत मामला दर्ज किया था।
कोर्ट ने गिरफतारी वारंट जारी करते हुए यह भी टिप्पणी की है कि जीतेन्द्र तथा अन्य दो आरोपियांे ने फर्जी न्यास बना कर अदालत केा गुमराह करने की भी कोशिश की है। कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि जीतेन्द्र ने जांच अधिकारी को दस्तावेज की मूल प्रति मुहैया नही करायी बल्कि अधिकारी को एक निजी फोरेसिंह प्रयोगश्ज्ञाल द्वारा जारी फर्जी रिपोर्ट दे दी है।