राष्ट्रीय व्यवसाय

वाम समर्थित संगठन हुए अप्रासंगिक, बैंक हड़ताल का पहला दिन रहा बेअसर

Written by Vaarta Desk

2 दिन की बैंक हडताल का पहले दिन ही कोई असर नहीं दिखा, क्योंकि बैंक कर्मचारियों के यूनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियंस की 9 यूनियंस में से केवल लेफ्ट समर्थित 3 बैंक यूनियंस, ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन (AIBEA), बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) और आल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA), ने वाम समर्थित केंद्रीय श्रम संगठनों के समर्थन में बुलाई 28, 29 मार्च 2022 की हड़ताल में भाग ले रही हैं । बाकि 6 युनियंस ने अपने को इस राजनैतिक हड़ताल से अलग रखा है। यह एक राजनैतिक हड़ताल है और इसका बैंक कर्मचारियों के मुद्दों से कोई वास्ता नहीं है।

बैंक कर्मचारी कब तक वामपंथियों की राजनैतिक हड़ताल का हिस्सा बनते रहेंगे। यदि ये यूनियंस बैंक कर्मचारियों के लिए इतनी ही गंभीर हैं तो UFBU के साथ हड़ताल पर कयों नहीं जाते हैं ?

आज के समय में जब बैंकिंग पूरी तरह से टेक्नोलॉजी आधारित है, ऐसे में 1 या 2 दिन की बैंक हड़ताल की प्रसांगकिता नहीं है और इसका सरकार पर कोई दबाव नहीं पड़ता। हड़ताल के कारण जहां ग्राहकों को मुश्किल होती है वहीं बैंक कर्मचारियों को अपना वेतन भी कटवाना पड़ता है और हड़ताल के बाद पेंडिंग काम को भी निपटाना पड़ता है। इसलिय यूनियंस को बैंक से सम्बंधित मुद्दों का विरोध और दबाव बनाने के लिए गंभीरता से अन्य तरीकों पर विचार करना चाहिए और सभी यूनियंस को मिलकर विरोध और आन्दोलन करने की आवयश्कता है।

अशवनी राणा
फाउंडर
वॉयस ऑफ बैंकिंग

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