अब इस रोग से नहीं बनेगा तलाक का आधार, लोकसभा की मिली मंजूरी
(यूएनएन) नई दिल्ली :- लोकसभा ने स्वीय विधि संशोधन विधेयक 2018 को सोमवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें कुष्ठ को तलाक का आधार बनाने के प्रावधान को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि राज्य मंत्री पी पी चौधरी ने कहा- कुष्ठ रोग अब एक उपचार योग्य बीमारी की श्रेणी में आ गया है, इसलिये कुष्ठ को तलाक का आधार बनाये जाने के प्रावधान को समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक संकल्प को स्वीकार किया है। इसके साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिश भी आई। इस संबंध में उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के निर्देश भी सामने आए हैं। ऐसे में इस संबंध में विभेदकारी उपबंध को समाप्त करने की पहल की गई है।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि कुष्ठ रोगों के मामले में पुनर्वास कार्य के लिये तेजी से प्रभावी कदम उठाये जाने चाहिए। बीजद के भर्तृहरि माहताब ने कहा कि कुष्ठ रोज अब उपचार योग्य हो गया है, ऐसे में यह विधेयक महत्वपूर्ण है।
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को कुष्ठ रोगों के बढ़ते मामले पर लगाम लगाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। चर्चा में टीआरएस के विनोद कुमार और माकपा के बदरूद्दोजा खान ने भी हिस्सा लिया ।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इसमें विवाह विच्छेद अधिनियम 1869, मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939, विशेष विवाह अधिनियम 1954 तथा हिन्दू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 का और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि कुष्ठ रोग से ग्रस्त रोगियों को समाज से अलग किया गया था क्योंकि कुष्ठ रोग निदान योग्य नहीं था और समाज उनके प्रतिकूल था। तथापि इस बीमारी का निदान करने के लिये गहन स्वास्थ्य देखभाल और आधुनिक चिकित्सा की उपलब्धता के परिणमस्वरूप उनके प्रति समाज के दृष्टिकोण में परिवर्तन होना आरंभ हुआ है।