उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते थम गये शव वाहनों के चक्के, किराए के वाहनों का प्रयोग करने को तीमारदार विवश

पिछले दो वर्षों से भुगतान प्राप्त न होने पर मेंटिनेंस फर्म ने मेंटिनेंस से खड़े किए हाथ

जल्द ही शव वाहन सुविधा सुचारू रूप से होगी बहाल-रश्मि वर्मा सीएमओ

गोण्डा ! बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय में मरीजो की मृत्यु के बाद शव को घर पहुंचने के लिए राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही बेहद संवेदनशील महत्वाकांक्षी शव वाहन योजना धरातल पर दम तोड़ती दिखाई पड़ रही है।

यह उपयोगी सेवा विभागीय लापरवाही के कारण खस्ताहालत में किसी तरह लोगो को मिल पा रही है।
विभागीय बंटवारे के पेंच में फंसी शव वाहन के संचालन में जिम्मेदारों ने ही टांग अड़ा रखा है।

दो विभागों की खींच तान में उलझी सेवा संचालन के साथ ही मेंटिनेंस को लेकर भी बुरी तरह उलझ गई है।जिसके चलते आये दिन शव वाहन या तो निष्क्रिय बने रहते हैं या तेल की कमी के चलते खड़े रहते है। विभागीय लापरवाही की सजा मृतकों के घर वाले भुगत रहे हैं।

कितने शव वाहन हैं चिकित्सालय में

जिला चिकित्सालय में चार शव वाहन उपलब्ध है। दो शव वाहन के मेंटिनेंस व तेल खर्च का भुगतान अस्पताल प्रशाशन करता है,वहीं दो शव वाहन सीएमओ के द्वारा अस्पताल को उपलब्ध कराया गया है,जिसका मेंटिनेंस व तेल खर्च भुगतान सीएमओ कार्यालय करता है।

कितने शव वाहन हो रहे संचालित

जिला अस्पताल के द्वारा उपलब्ध कराई जा रही शव वाहन सुविधा मात्र दो वाहनों के भरोसे चल रही है,जिनमे UP32-BG-8076 सीएमओ कार्यालय द्वारा संचालित हो रही है। इसके संविदाकर्मी चालक माधव ने पिछले दस दिनों से इसके कमानी व स्टेयरिंग की खराबी को लेकर पत्र कार्यालय को दे रखा है। वाहन संख्या UP41-G-3842 के चालक श्रवण सिंह ने भी वाहन की सर्विस मेंटिनेंस के लिए प्रमुख अधीक्षक कार्यालय को पत्र दे रखा है किंतु बजट का रोना रोकर इसे भी खस्ता हालत में चलाया जा रहा है यहाँ यह बात अलग है कि यदि कोई दुर्घटना होती है तो इसका दोषी कौन होगा यह तय करना आसान न होगा।

वाहन संख्या UP41-3290 चालक जिला अस्पताल अरुण सिंह पिछले तीन माह से वाहन की खराबी के चलते इन्ही दोनों गाड़ियों पर अपनी सेवा दे रहा है,वहीं वाहन संख्या UP32-EG-3010 सीएमओ कार्यालय चालक पिंटू अपने वाहन को पिछले एक माह से तेल न मिलने के कारण खड़ा कर इन्ही दो वाहनों पर अपनी सेवा दे रहा है।

इस तरह मात्र दो वाहनों के द्वारा इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ लोगो को।दिया जा रहा है।वाहन काम होने के कारण मृतकों के परिजन मजबूरी में प्राइवेट वाहनों के द्वारा किराया देकर शव ले जा रहे हैं।

क्यूँ खड़े है दो वाहन

वाहन संख्या UP41-3290 पिछले करीब एक वर्ष से मेंटीनेंस सुविधा न मिलने के कारण खड़ा हुआ है,वाहन संख्या UP32-EG-3010 पिछले 2दो माह से तेल न मिलने के कारण खड़ा है।

सूत्रों की माने तो वाहनों के मेंटीनेंस को देखने वाली फर्म जय अम्बे माँ ने पिछले दो वर्षों पूर्व ही इन वाहनों के सर्विस व मेंटीनेंस करने से इनकार कर दिया है। इसकी वजह तीन से चार लाख रुपये का बिल भुगतान न किये जाने को बताया जा रहा है। वही शव वाहन को तेल न दिए जाने की वजह बीते माह 15 जून से बजट की कमी को बताया गया है।

क्या बोल रहे विभाग के जिम्मेदार

जिला अस्पताल के द्वारा संचालित किए जा रहे दो शव वाहनों के सम्बंध में प्रमुख अधीक्षिका डॉक्टर इंदु बाला ने बताया कि एक शव वाहन UP-41-3290 काफी समय से खराब है जिसे बनवाने के लिए आदेशित किया गया था, किंतु बजट के अभाव में व सर्विस प्रोवाइड करने वाली कम्पनी के साथ कुछ पैसों के लेनदेन को लेकर विवाद था लेकिन उसे शार्ट आउट कर लिया जाएगा,सीएमओ के द्वारा उपलब्ध शव वाहन संख्या UP32-EG-3010 तेल न मिलने के कारण खड़ी है,बजट मिलते ही सेवा शुरू हो जाएगी, अन्य दोनों वाहन UP41-G-3842 व UP32-BG-8076 में जो भी थोड़ी बहुत कमी है उसकी जानकारी प्राप्त हुई है यदि 20,000 तक धनराशि में सही हो सकती है तो उसे बनवा दिया जायेगा।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर रश्मि वर्मा विभाग के द्वारा उपलब्ध कराए गए शव वाहनों के बारे में पहले पूरी जानकारी प्राप्त की इसके पश्चात उन्होंने बताया कि बीते माह जून में बजट के अभाव में एक वाहन के तेल का भुगतान रोक दिया था इसके संचालन के लिए पुनः आदेशित कर दिया गया है जो शव वाहन खराब है उसे भी ठीक कर दिया जाएगा।दो वाहनों का संचालन हो रहा है उन्हें भी सर्विस कर मेंटेन कर दिया जायेगा।
राज्य सरकार के द्वारा अति संवेदनशील शव वाहन सुविधा स्वास्थ सेवा की एक सम्बल योजना है जिसमे जनता व सरकार के बीच एक।संवेदनात्मक जुड़ाव का कार्य शव वाहन सेवा कर रही है किंतु विभागीय खींचतान के चलते इस सेवा पर भी कभी बजट तो कभी मेंटीनेंस का समय से न उपलब्ध होना इसकी राह का रोड़ा बन जाता है। हद तो तब हो जाती है जब इन खस्ता हाल वाहनों को बिना मेंटीनेंस के ही सड़कों पर दौड़ा दिया जाता है जिसके कारण दुर्घटना का डर हर समय बना रहता है।

About the author

अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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