गोंडा। श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री काॅलेज गोण्डा-अवध में चल रहे संस्कृत सम्भाषण वर्ग के पांचवें दिन दिनचर्या,समय ज्ञान के साथ क्रिया पदों का प्रयोग व अभ्यास संस्कृत भारती के प्रशिक्षक डा.जगदम्बा प्रसाद सिंह ने करवाया। डा. शिशिर त्रिपाठी ने कहा आयुर्वेद, खगोल, चिकित्सा-विज्ञान जैसे विषयों के अनुसंधान के लिए संस्कृत बहुत ही उपयोगी है।
डा.पूजा यादव ने कहा कि संस्कृत का ग्रन्थ भगवद्गीता प्रबन्धन का सबसे बड़ा ग्रन्थ है।डा.रेखा शर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा अमृतमयी है संस्कृत का विद्यार्थी होना गर्व की बात है। संस्कृत के उच्चारण से बहुत सी बीमारियों का निदान किया जाता है।उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत भाषा ही नहीं विचार है।
हमारी स्मरण शक्ति को बढ़ाने कार्य संस्कृत ही करती है। संस्कृत भाषा सम्पूर्ण विश्व को शान्ति का उपदेश देती है। डा.परवेज ने कहा कि संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता इस कारण से है कि हमारा विपुल साहित्य है, और संस्कृत को घर घर की भाषा होने का गौरव प्राप्त करवाना संस्कृत के विद्यार्थियों का दायित्व है। संस्कृत भाषा को जनभाषा बनाकर राष्ट्र की एकता को सुदृढ़ व सशक्त किया जा सकता है। प्रो.डी.के.गुप्त ने कहा कि संस्कृत की उपयोगिता व प्रासंगिकता इन सन्दर्भों में भी है कि हमारी दिनचर्या तथा संस्कार संस्कृत माध्यम से ही होता है। संस्कृत जीवन जीने का ढंग है तथा सम्पूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में पिरोने की सामर्थ्य रखती है। मलेशिया में धर्म इस्लाम है पर जीवनशैली संस्कृत से ही प्रभावित है।
आये हुए अतिथियों का स्वागत सम्भाषण वर्ग के संयोजक प्रो.मंशाराम वर्मा ने किया। इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य प्रो.वन्दना सारस्वत, प्रो.रामसमुझ सिंह, डा.दिलीप शुक्ल, डा.अच्युत शुक्ल, रामभुलावन प्रजापति, लक्ष्मण आचार्य, प्रमोद पाण्डेय तथा प्रशिक्षु छात्र-छात्राएं तथा महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक-प्राध्यापिकाएं उपस्थित रहे।
You must be logged in to post a comment.