उत्तर प्रदेश गोंडा शिक्षा

सप्तदिवसीए संस्कृत संभाषण वर्ग का समापन, बच्चों ने किए अनुभव को साझा

गोण्डा। श्रीलाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज गोण्डा में संचालित सप्तदिवसीय संस्कृत सम्भाषण वर्ग का दीप प्रज्ज्वलन ,मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर विधिवत समापन समारोह सम्पन्न हुआ।

रिहाना, साधना, सच्ची, नन्दिनी, मधु, रुकसाना, सरिता, सौम्या, प्रिया, शक्ति, सन्दीप ने गीत तथा हरिओम मिश्रा, शिवांगी दुबे, सन्दीप दुबे आदि ने अनुभव कथन प्रस्तुत किये। महाविद्यालय के सचिव ने कहा कि संस्कृत सम्भाषण की पाठन शैली सरल मधुर व ग्राम्य है,इस तरह के आयोजन के लिए प्रबन्धतन्त्र सदैव आह्वान करता है। इस आयोजन के लिए मैं वर्ग के संयोजक प्रो.मंशाराम वर्मा प्रशिक्षकों डा.जगदम्बा सिंह, रामभुलावन प्रजापति तथा प्रशिक्षु छात्र- छात्राओं को हृदय से धन्यवाद देता हूं।

प्रो.शैलेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा संस्कृत भाषा विज्ञान में ध्वनि का बहुत महत्व है। आहत ध्वनियों के अन्तर्गत भाषाएं आती हैं। संस्कृत ऐसी भाषा है जिसमें विश्व का सम्पूर्ण ज्ञान निहित है। महाविद्यालय में बच्चों की सार्थकता सिद्ध करने के लिए जल्द ही मोटिवेशनल कक्षाएं प्रारम्भ की जायेंगी।

प्रो.अमन चन्द्रा ने संस्कृत कजली प्रस्तुत करते हुए छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि संस्कृत को आम जन की भाषा बनाकर प्रचलन में लाना चाहिए।

डा.अवधेश वर्मा ने कहा कि सम्भाषण में मेरी रुचि बहुत रही है और मैंने भी संस्कृत के बहुत से शब्द सीखें हैं। मैंने देखा तथा अनुभव किया कि संस्कृत से पढ़कर लोग आसानी से आईएएस,पीसीएस में चयन प्राप्त कर लेते हैं। संस्कृत भाषा में कैरियर बनाना बहुत आसान व सरल है।

कार्यक्रम के मुख्यातिथि और उपजिलाधिकारी मनकापुर कुलदीप सिंह ने कहा कि शैक्षणिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग करने की रुचि रहती है क्योंकि विद्यार्थियों का कुछ मार्गदर्शन कर सकूं। संस्कृत सनातन भाषा है जिसका अर्थ है यह जितना प्राचीन है उतना ही नवीन तथा प्रासंगिक है। संस्कृत से ज्यादा वैज्ञानिक कोई दूसरी भाषा नहीं है। हमें अपने से जुड़े रहना है तो संस्कृत भाषा से जुबां रहना आवश्यक है। हमारे आचरण पर भी हमारी भाषा का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री कृष्ण गीता राष्ट्रीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.ऋषिकेश सिंह ने कहा कि आज के तीन हजार वर्ष पूर्व संस्कृत बोल चाल की भाषा थी। बौद्ध मतावलम्बी महायान शाखा वालों की पुस्तकें संस्कृत में ही हैं।संस्कृत रोजगारपरक भाषा है यह निर्विवाद सत्य है।

मंच संचालन वर्ग संयोजक प्रो.मंशाराम वर्मा ने किया। वर्ग का वृत्त निवेदन संस्कृतभारती के प्रशिक्षक जगदम्बा प्रसाद सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन रामभुलावन प्रजापति ने किया। वैदिक मंगलाचरण आचार्य लक्ष्मण मिश्र ने किया । सात दिन तक सतत् प्रतिभाग करने वाले प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया।

डा.पल्लवी ने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है तथा सभी भाषाओं के शब्द संस्कृत में विद्यमान हैं। इस अवसर प्रमोद पाण्डेय महाविद्यालयीय प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं‌ के साथ प्रशिक्षु छात्र-छात्राएं उपलब्ध रहें।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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