गोण्डा। लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय, शिक्षक संघ ने उत्तर प्रदेश के 331 अनुदानित महाविद्यालयों में चल रही अनुदानित एवं स्ववित्तपोषित की दोहरी व्यवस्था को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन दिया। इस संबंध में महाविद्यालय परिसर में स्थित शास्त्री जी की मूर्ति के समक्ष एक प्रेसवार्ता आयोजित की गई।
प्रेसवार्ता में शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर शैलेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि यह महाविद्यालय 1966 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर स्थापित हुआ था। इन 56 वर्षों में महाविद्यालय ने शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में सतत समुन्नयन करते हुए अनेक कीर्तिमान बनाए हैं।
शिक्षक संघ अध्यक्ष शैलेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि आर्थिक स्वतंत्रता की प्राप्ति और देश से भ्रष्टाचार, आतंकवाद और काला धन की समाप्ति के लिए 8 नवंबर 2016 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐतिहासिक एवं साहसिक निर्णय लिया था। लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय, शिक्षक संघ द्वारा देश में सबसे पहले सामूहिक रूप से दिनांक 10 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री के साहसिक फैसले का स्वागत किया गया था और इसके समर्थन में तिरंगा रैली निकाली गई थी, जबकि कुछ प्रतिगामी ताकतें जनविद्रोह करवाना चाहती थीं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के कुल लगभग 7000 महाविद्यालयों में से 331 अनुदानित महाविद्यालयों में अनुदानित और स्ववित्तपोषित दोनों व्यवस्थाएं एक साथ चल रही है, जिससे ढेर सारी विसंगतियां उत्पन्न हो गई हैं। एक ही संस्थान में कुछ विद्यार्थियों को 10 गुना से अधिक फीस देनी पड़ रही है और उन्हें पढ़ाने वाले स्ववित्तपोषित शिक्षकों को लगभग दसवाँ हिस्सा वेतन मिल रहा है। उच्च शिक्षा के महान उद्देश्य को भारी हानि पहुंचाने वाली इन विसंगतिपूर्ण परिस्थितियों को समाप्त करने के लिए शिक्षक संघ द्वारा प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया जा रहा है।
शिक्षक संघ की स्पष्ट मांग है कि उत्तर प्रदेश के 331 अनुदानित महाविद्यालयों में इस दोहरी व्यवस्था को समाप्त किया जाए और स्ववित्तपोषित संकाय को अनुदानित व्यवस्था में विलय किया जाए, जिससे स्ववित्तपोषित व्यवस्था के अंतर्गत अध्ययनरत विद्यार्थियों का आर्थिक शोषण समाप्त हो और उन्हें पढ़ाने वाले गुरुजनों को सम्मानजनक वेतन प्राप्त हो सके।
शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. आर. एस. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ‘एक देश एक विधान’ के समर्थक हैं, जबकि एक संस्थान में कई विधान चल रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वे ‘एक संस्थान एक विधान’ की हमारी मांग को अवश्य सुनेंगे।
इस अवसर पर डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री प्रो. जितेंद्र सिंह ने इस लड़ाई के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि इस लड़ाई को प्रदेश स्तर पर मजबूती से लड़ा जाएगा।
कार्यकारी मंत्री संतोष श्रीवास्तव, पूर्व मंत्री एवं पदेन सदस्य प्रो. मंशाराम वर्मा, कार्यकारी कोषाध्यक्ष डॉ. पुष्यमित्र मिश्र, मनीष शर्मा, डॉ. अवधेश वर्मा, ने पत्रकारों को इन विसंगतियों से अवगत कराया।
इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य प्रो. वंदना सारस्वत, प्रो. बी. पी. सिंह, प्रो. जे. बी. पाल, प्रो. संजय कुमार पांडेय, प्रो. जय शंकर तिवारी, डॉ. रविप्रकाश ओझा, डॉ. पुनीत कुमार, डॉ. अरुण प्रताप सिंह, डॉ. अरुण वर्मा, डॉ.अंकित मौर्य, डॉ. शैलजा सिंह, डॉ. स्मिता, डॉ. स्मृति शिशिर, अभय द्विवेदी सहित कई शिक्षकों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री को प्रेषित किया जाने वाला ज्ञापन पत्रकारों को उपलब्ध कराया गया।
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