अखंड राजपुताना सेवासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर अंतर्जातीय विवाह पर देश के करोड़ों मां बाप की भावना से अवगत कराते हुए अविलंब प्रतिबंध लगाने की मांग की है । पत्र मे स्पष्ट करते हुए उन्होंने ने लिखा है कि भारतीय परंपरा के विरुद्ध है अंतर्जातीय विवाह और उसको संरक्षण देने वाला कानून मां बाप के अधिकार का हनन करता है इसलिए इसको अविलंब प्रतिबंधित होना चाहिए।
भारतीय सभ्यता के मूल मे मां बाप का महत्व ईश्वर से भी अधिक है परन्तु जब उनके बच्चे बालिक होकर अंतर्जातीय विवाह करते है तो देश के हर जाति धर्म का मां बाप खुद को अपमानित महसूस करता है और देखने मे आया है कि मां बाप समाजिक शर्मिंदगी मे आत्महत्या तक कर लेते है । भारत मे किसी भी जाति धर्म के लोग अंतर्जातीय विवाह को पसंद नहीं करते है लेकिन कानून के डर से चुप रहते है और मजबूर होकर स्वीकार करते है अथवा खुशी जीवन मे उथल पुथल का सामना करते है ।
सरकार यदि अंतर्जातीय विवाह कानून लागू करती है तो देश के सभी बच्चों के लालन पालन की व्यवस्था खुद करने के साथ ही सार्वजनिक घोषणा करे कि देश मे जातीय व्यवस्था समाप्त किया जा रहा है और समस्त देशवासियों के लिए सिर्फ एक ही जाति व्यवस्था भारतीय होगा जिसमें आरक्षण के लिए जातीयता स्वीकार नहीं होगा।
श्री सिंह ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि आजादी के उपरांत व्यभिचारी मानसिकता के लोग संवैधानिक पद पर जाते ही पश्चिमी सभ्यता के तहत इस कानून को देश पर बौद्धिकता के आड़ मे थोपकर देश की सभ्यता को नष्ट करने का पाप किया है जिसके दुष्परिणाम देश मे संबंध विच्छेद की बहुलता मे देखा जा सकता है ।
श्री सिंह ने कहा है कि यह हमारे सभ्यता और मानवता के विरुद्ध हमारे देश के माता पिता परंपरा को समाप्त करने वाला कानून है जिसको समाप्त करने के लिए यदि आवश्यकता पडी तो अखंड राजपुताना सेवासंघ देश व्यापी आंदोलन भी करेगा।
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