गोण्डा। श्री लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोंडा में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और वर्तमान में श्री कृष्ण गीता राष्ट्रीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लालगंज, आजमगढ़ के प्राचार्य प्रोफेसर ऋषिकेश सिंह के जानकी नगर,गोंडा स्थित आवास पर पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी बसंत पंचमी काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ । बसंत पंचमी काव्य गोष्ठी के इस एकादश वार्षिकोत्सव का आयोजन गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी दोनों एक साथ पड़ जाने के कारण दिनांक 29 जनवरी 2023 दिन रविवार को किया गया।
इस काव्य गोष्ठी में कुल 51 कवियों और शायरों ने अपने रचनाओं का वाचन किया । इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्य भूषण पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर सूर्यपाल सिंह ने किया। साहित्य भूषण शिवाकांत मिश्रा विद्रोही इस काव्य गोष्ठी के प्रमुख आकर्षण रहे । इस काव्य गोष्ठी का संचालन विनय शुक्ल अक्षत के द्वारा किया गया ।
काव्य गोष्ठी में रचना प्रस्तुत करते हुए जानी-मानी कवित्री ज्योतिमां शुक्ला रश्मि ने पढ़ा कि “बदलते वक्त ने आखिर किसी को भी नहीं छोड़ा, तुझे तुझसा नहीं छोड़ा मुझे मुझसा नहीं छोड़ा।” साहित्य भूषण शिवाकांत मिश्रा विद्रोही ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि “मानव से प्राप्तियां महान नहीं होती हैं, प्राप्तियां घमंड का स्थान नहीं होती हैं । छोटा और बड़ा होना भ्रम है दुनिया का, हाथों की उंगलियां समान नहीं होती हैं ।” अपनी रचना पढ़ते हुए बी पी सिंह वत्स ने कहा कि “बढ़ गया जादू टोना चले आइए , सुना घर आंगन कोना चले आइए । आपके बिन सूनी होली लगे, डर दिखाएं करोना चले आइए।” जाने-माने चित्रकार जे. पी. गुप्त ने पढ़ा “सूनी है वसुंधरा और सूना भी आज गगन है ।” कवि शिवाजी सेन ने रचना प्रस्तुत किया “उजालों की सुनहरी धूप को हम शाम लिखते हैं , हम अपने प्रेम के दर्पण पर जिनका नाम लिखते हैं। सनातन की यही शक्ति निराली सारे जग में है ,वह पत्थर तैर जाते हैं जिन पर राम लिखते हैं ।”
इस कार्यक्रम के संचालक जाने-माने कवि विनय अक्षत ने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा “किसी आलोक में व्यक्तित्व की खुशबू अलग होती, गुलाबों को लगाते क्या किसी ने इत्र देखा है ।” कार्यक्रम के प्रारंभ में हरिराम शुक्ल प्रजाग़र ने सरस्वती वंदना की और जमील आजमी ने अपने रचना पढ़ते हुए कहा कि “हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी एक हैं ,यह डंके की चोट पर मैं निर्भय लिखता हूं ” प्रोफेसर ऋषिकेश सिंह ने कहा “दोहराइए मत बात को जो कह दिया तो कह दिया, फिर आइएगा रात को जो कह दिया तो कह दिया ।” प्रोफेसर मंसाराम वर्मा ने अपनी रचना पढ़ी “कुसुम कुसुम लता लता तमाल मंजरी, अलशाया भृंग खोजे रसाल मंजरी ।” कवि ज्ञानी ने अपनी रचना पढ़ी “मुर्दों के सामने सर झुकाता है कौन, दैत्य जब मारता है तो बचाता है कौन ।” अपनी रचना पढ़ते हुए अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा “मतलबी लोग ही इस देश का अंधियारा हैं आप उजाले की तरह इनको मिटाते रहिए ।” जाने-माने शायर ईमान गोंडवी ने पढ़ा ” नींद आंखों पर रहम खा कि बहुत रात हो गई ।” मशहूर शायर नजमी कमाल गोंडवी ने पढ़ा कि “यूं ही आसानी से मिलती नहीं मंजिल सबको, लोग गिरते थे संभलते थे चला करते थे । जाने क्या मुझसे खता हो गई ऐसी नजमी कट के चलने लगे जो सटके चला करते थे ।” राष्ट्रीय स्तर के शायर याकूब गोंडवी ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा कि ” वो जब आईने में सवारेगे सूरत, तो हो जाएगा आईना खूबसूरत ।” मशहूर शायर कौशल सलमानी ने कहा “झूठों को इस जमाने में शोहरत बहुत मिली, सच बोलने के बाद संभलना पड़ा । ” कवि परीक्षित तिवारी ने अपनी रचना प्रस्तुत करके लोगों को बहुत हंसाया । मशहूर कवि केसर गोंडवी ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा ” ऐ जमाने मेरे दिल को कब तलक बहलाएगा , वक्त के शोलों से जो बोलेगा वह जल जाएगा।”
कार्यक्रम का समापन कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर सूर्यपाल सिंह कि कविता “पर अभी संभावना है” से हुआ। कवि गोष्ठी के दौरान मौजूद अन्य लोगों में प्रोफेसर संदीप कुमार श्रीवास्तव, प्रोफ़ेसर रामसमुझ सिंह, प्रोफेसर श्रीनिवास राव प्रमुख रहे और इन्हीं के निवेदन पर कवियों तथा शायरों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं को पढ़ा ।
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