अयोध्या नगर निगम ने शहर के 108 जलस्रोतों के पुनरुद्धार के लिए इनका डेटाबेस तैयार किया; 167 एकड़ में फैले समदा झील को पक्षी अभयारण्य घोषित किया जाएगा
अयोध्या। अयोध्या नगर निगम ने 13-14 फरवरी को महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित धारा 2023 की दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय बैठक में सरयू नदी कायाकल्प परियोजना संबंधी 10 सूत्री रणनीतिक हस्तक्षेप प्रस्तुत किया. ये विवरण शहरों के लिए शहरी नदी प्रबंधन योजना (यूआरएमपी) के तहत जारी किए गए, जिसे रिवर सिटीज़ एलायंस (आरसीए) के सदस्यों की वार्षिक बैठक के दौरान प्रारंभ किया गया था
आरसीए के एक सदस्य, अयोध्या ने नगर निगम के प्रयासों की केस स्टडी प्रस्तुत की. इन प्रयासों के तहत न केवल नगर निगम क्षेत्र में स्थित 108 जलस्रोतों का डेटाबेस तैयार किया गया है बल्कि इनमें से कुछ का पुनरुद्धार भी कर दिया गया है. साथ ही 167 एकड़ में फैले समदा झील को कायाकल्प के बाद पक्षी विहार घोषित किया जाएगा.
धारा 2023 (शहरी नदियों के लिए समग्र कार्रवाई) का आयोजन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) एवं आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के संस्थान राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) द्वारा किया गया था. इसमें आयुक्तों, कार्यकारी अधिकारियों और आरसीए सदस्य शहरों के वरिष्ठ अधिकारियों को शहरी नदियों के प्रबंधन संबंधी बेहतर कार्यप्रणालियों पर चर्चा करने और सीखने के लिए मंच प्रदान किया गया.
इस आयोजन में पुणे, मुरादाबाद, औरंगाबाद और ग्वालियर की नदियों के कायाकल्प प्रयासों से संबंधित अयोध्या जैसी ही केस स्टडी प्रस्तुत की गई. अयोध्या के अतिरिक्त नगर आयुक्त वागेश शुक्ला ने इस पवित्र भारतीय शहर के लिए दीर्घकालिक नदी संरक्षण से संबंधित निम्नलिखित 10 सूत्रों को साझा किया: 1) बाढ़ के मैदान में गतिविधियों का विनियमन, 2) प्रदूषण मुक्त नदी, 3) जल स्रोतों और आर्द्रभूमि का कायाकल्प, 4) तटवर्ती बफर क्षेत्र का विस्तार, 5) उपचारित जल के दोबारा इस्तेमाल उपयोग को बढ़ावा देना, 6) अधिकतम अच्छी गुणवत्ता वाला रिटर्न फ्लो, 7) पर्यावरण अनुकूल रिवरफ्रंट परियोजनाएं, 8) नदियों की क्षमता का आर्थिक दोहन, 9) नागरिकों को नदी के प्रति संवेदनशील बनाना, और 10) नदी प्रबंधन गतिविधियों में नागरिकों को शामिल करना.
श्री शुक्ला ने कहा, “सरयू नदी के लिए यूआरएमपी के शुभारंभ के साथ, हम एक नोडल एजेंसी की नियुक्ति करेंगे जो बेसलाइन और सेकेंडरी डेटा का आकलन करेगी. यह एजेंसी आवश्यक सर्वेक्षण करेगी कि ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम दीर्घकालिक नदी कायाकल्प के लिए 10 सूत्री समाधानों को पूरा करने में सक्षम हैं. हितधारकों के साझा समझ और हमारे प्रतिनिधियों की क्षमता निर्माण के साथ, वित्तीय आवश्यकताओं और संभावित विकल्पों से युक्त एक कार्यान्वयन योग्य कार्य योजना तैयार की जाएगी.”
कई इलाकों से गुजरने वाली घाघरा/सरयू नदी, जैसा कि अयोध्या में जाना जाता है, मानसरोवर झील के करीब तिब्बती पठार से निकलती है. बिहार के सारण जिले में, यह गंगा से मिल जाती है. नदी की कुल लंबाई 1080 किलोमीटर है, जो इसे यमुना के बाद गंगा की दूसरी सबसे लंबी सहायक नदी बनाती है. विस्तार के हिसाब से यह गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी भी है.
पूरे शहर अयोध्या और इसके विस्तारित क्षेत्र में 2026 तक 100% अपशिष्ट जल का उपचार सुनिश्चित होने की उम्मीद है. वर्तमान अपशिष्ट जल उपचार क्षमता 12 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) है और 32 एमएलडी की अतिरिक्त उपचार क्षमता निर्माणाधीन है. श्री शुक्ला ने बताया, “जल और सीवरेज संबंधी इस बुनियादी ढांचे की अनुमानित लागत 2,200 करोड़ रुपये है.”
अयोध्या शहर के जिन 108 जलस्रोतों की केस स्टडी तैयार की गई हैं, इनमें से लाल डिग्गी, समदा झील (जिसे पक्षी अभयारण्य घोषित किया जाएगा), विद्या कुंड, सूरज कुंड और तिलोटकी नदी (सरयू की सहायक नदी) के 10 किलोमीटर हिस्से के कायाकल्प संबंधी केस स्टडीज प्रस्तुत की गईं. नदी तंत्र के संरक्षण में नागरिकों को शामिल करने के प्रयास किए गए हैं. इनमें फूलों के कचरे को रीसाइकिल (इस्तेमाल योग्य चीज़ें बनाना) करने और जल निकायों के कायाकल्प के लिए स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों के युवाओं को जोड़ने जैसे प्रयास शामिल हैं. श्री वागेश शुक्ला ने कहा, “अब तक की सर्वोत्तम केस स्टडी समदा झील की है जहां विभिन्न प्रकार के पक्षी बड़ी संख्या में आ रहे हैं.”
एनएमसीजी के महानिदेशक जी अशोक ने कहा कि नमामि गंगे मिशन ने अयोध्या की स्वच्छता संबंधी आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने के लिए निवेश किया है. “स्थानीय निगम ने कई सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) का निर्माण किया है. हमने जिन बड़ी परियोजनाओं में सहयोग किया उनमें भूमि की उपलब्धता की समस्या थी, जिसे अब सुलझा लिया गया है. अगर हम बिना योजना के कार्य करने से बचें तो परियोजना पूर्ण होने गति काफी तेज हो जाएगी. हालांकि, यह बहुत अच्छा है कि एसटीपी जल्द ही अयोध्या में दिखाई देंगे.”
मंगलवार शाम को संपन्न हुई धारा 2023, दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय बैठक, में भारत के रिवर सिटीज के 300 प्रतिनिधि शामिल हुए और विचार-विमर्श कर अपने-अपने शहरों में नदी के हिस्सों के प्रबंधन के उपायों संबंधी ज्ञान प्राप्त किया. इनमें आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त, मुख्य अभियंता, वरिष्ठ योजनाकार, शिक्षाविद, जल सुरक्षा विशेषज्ञ, वित्तीय विशेषज्ञ और अन्य शामिल प्रतिनिधि थे.
मंगलवार को धारा 2023 के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए श्री कौशल किशोर, राज्य मंत्री, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए), भारत सरकार ने कहा: “आरसीए में वर्तमान में 16 स्मार्ट सिटीज सहित 107 शहर शामिल हैं, जिसने देश भर की 72 नदियों को जोड़ा है. इन 107 शहरों में से करीब 70 शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट की सुविधा है. जल संसाधनों का संरक्षण साझा जिम्मेदारी है. आरसीए और उपस्थित लोगों ने आज दो मंत्रालयों के सहयोग से जल संसाधन संरक्षण और सतत शहरी विकास में हुई महत्वपूर्ण प्रगति के महत्व पर जोर दिया. हम उम्मीद करते हैं कि अगले साल होने वाली धारा बैठक के आयोजन तक हम अपने परिवार में 150 शहरों को शामिल कर लेंगे. हमें नागरिकों तक ‘स्वच्छ धारा, संपन्न किनारा’ का संदेश भी पहुंचाने की जरूरत है.” साथ हीअसोक ने घोषणा की कि ग्वालियर को अगले आरसीए अंतर्राष्ट्रीय बैठक, धारा 2024 के आयोजन स्थल के रूप में चुना गया है.
1976 में स्थापित, राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) शहरी नियोजन और विकास पर कार्य करने वाला भारत का अग्रणी राष्ट्रीय थिंक टैंक है. शहरी क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान और इसके प्रसार के केंद्र के रूप में, एनआईयूए तेजी से शहरीकृत होते भारत की चुनौतियों के समाधान हेतु अभिनव समाधान प्रदान करने का प्रयास करता है और भविष्य के अधिक समावेशी एवं टिकाऊ शहरों के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
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