छोड़ा सुसाइड नोट, बेटे बहू सहित पोते को ठहराया जिम्मेदार
अपनी दुकान और बचत को किया आर्य समाज को दान
चरखी दादरी (हरियाणा)। क्या कोई इस बात की कल्पना कर सकता हैँ की जिस की औलादें करोड़पति होने के साथ देश के नौकरशाही के शीर्ष पड़ पर असीन हो उनको एक एक रोटी के लिए संघर्ष करना पड़े और अंत में सल्फास खाकर अपनी इहलीला समाप्त करने को विवश होना पड़े, शायद नहीं परन्तु ये सच हैँ, इतना ही नहीं बुजुर्ग दम्पति ने अपनी मृत्यु से पहले एक पत्र भी लिख छोड़ा है जिसमें बेटे बहू और आई ए एस पोते को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सजा दिए जाने की बात कही हैँ।
अपने आप में बहुत कुछ सोचने को विवश कर देने वाली ये मर्मात्मक घटना प्रदेश के चरखी दादरी की हैँ, देश के मीडिया की सुर्खियां बनी ये बेहद दर्दनाक घटना 77 वर्षीय बुजुर्ग जगदीश चंद्र आर्य और उनकी अस्वस्थ पत्नी भागली देवी आर्य की हैँ, पुलिस को मिले पत्र( सुसाइड नोट) के अनुसार बुजुर्ग जगदीश के बेटे के पास 30 करोड़ से ज्यादातर की संपत्ति हैँ लेकिन उन्हें 2रोटी के लिए भी तरसना पड़ता हैँ, बहू उन्हें बासी खाना देती है वह भी बेइज्जती के साथ, उनका कहना हैँ की हमें दो वर्ष से ज्यादा वृद्धआश्रम में रहने को विवश किया गया वहां से लौटने पर घर में ताला लगा दिया गया, मेरी पत्नी को लकवा मार गया लेकिन फिर भी न तो बेटे और न ही पोते ने हमारा ख्याल रखा।
खाद बीज के व्यवसाई रहे बुजुर्ग जगदीश ने पत्र में ये भी लिखा हैँ की उनकी दुकान और उनकी बचत राशि को आर्य समाज को दान दे दी जाये तथा एक बेटे दो बहू तथा पोते को कड़ी सजा दी जाये, ज्ञात हो की उनके एक बेटे की मौत पहले ही हो चुकी हैँ।
यहाँ ये भी बताना आवश्यक हैँ की इस पत्र को लिखने के बाद बुजुर्ग दम्पति में सल्फास खाया और पुलिस को घटना की सूचना भी दी। फिलहाल पुलिस ने सभी आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया हैँ और अपनी जांच भी आरम्भ कर दी हैँ हालांकि बेहद निंदनीय, दुखड़ाई और हैरान करने वाली इस घटना पर सफाई देते हुए उनके बेटे और आरोपियों विवेक आर्य का कहना था की दोनों काफ़ी बीमार रहते थे हो सकता है अपनी बीमारी से तंग आकर उन्होंने ये कदम उठाया हो।