निकम्मे कर्मचारियों को समर्थन करते दिख रहे प्रमुख अधीक्षक
गोण्डा। जिले की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति तो हमेशा से बदतर रही हैं लेकिन ज़ब से मेडिकल कालेज की घोषणा हुई और निर्माण कार्य ने गति पकड़ी हैं तब से व्यवस्था बद से बदतर हो गई हैं। बड़ी बात तो ये हैं की मेडिकल कालेज की आड़ लेकर कमियों और खामियों को छुपाने या नज़रअंदाज़ करने की अस्पताल प्रशासन ने जो नीति अपनाई हैं वो सबसे ज्यादा अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके देखभाल करने वालो पर भारी पद रही हैं।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय स्थित बाबू ईश्वरशरण जिला चिकित्सालय की, मरीज और उनके तीमारदारों से इस बात की जानकारी पिछले काफ़ी समय से मिल रही थी की रात्रिकालीन ड्यूटी पर रहने वाले कर्मचारी कभी कभी ही ड्यूटी पर रहते हैं अधिकतर वे अपनी हाजिरी लगाकर वार्ड से नदारद हो जाते हैं। सबसे बुरा हाल तो बर्न वार्ड और आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों का होता है, इन वार्डों में तैनात कर्मचारी अगर रात में ड्यूटी पर दिखाई दे जाएं तो इसे अजूबा ही समझा जायेगा।
भर्ती मरीजो की इस शिकायत की सत्यता जाँचने ज़ब समाचार वार्ता की टीम विगत 28 अप्रैल को रात 11 बजे जिला चिकित्सालय के बर्न वार्ड और आइसोलेशन वार्ड पहुंची तो शिकायत पूरी तरह से सत्य पाई गई। बर्न वार्ड के कर्मचारी ड्यूटी कक्ष में ताला तो लटक ही रहा था साथ ही साथ आइसोलेशन वार्ड के ड्यूटी कक्ष में भी ताला लटक रहा था।
वार्ड में मौजूद ज़ब एक व्यक्ति से पुछा गया की क्या आप यहाँ पर कर्मचारी है तो उसने बताया की वह कर्मचारी नहीं बल्कि अपने भर्ती मरीज की देखभाल कर रहा है कैमरा देख उसने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा की यहाँ कोई कर्मचारी रहता ही नहीं, पिछले ढाई घंटे से उसके मरीज को समस्या है लेकिन कोई पुरसाहाल नहीं है, ज़ब वह मुख्य परिसर में स्थित आपटकालीन कक्ष में जाकर अपनी समस्या बताता हाँ तो वहां से भी उसे उल्टे पैर वापस कर दिया जाता है।
कर्मचारियों की उपस्थिति जाँचने के लिए ज़ब स्टॉफ नर्स के पद पर तैनात कर्मचारी अतुल श्रीवास्तव के नम्बर पर काल किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी काल रिसीव नहीं हुई जिससे स्पष्ट है की श्री श्रीवास्तव गहरी निंद्रा में आराम फरमा रहे है। इसी तरह ज़ब दूसरे स्टॉफ नर्स उमेश से संपर्क किया गया तो उन्होंने छूटते ही जवाब दिया की बस अभी अभी इमरजेंसी में आया हूं तुरंत वार्ड में पहुँच रहा हूं।
फिलहाल लगभग आधे घंटे प्रतीक्षा के बाद अपने तुरंत के वादे को पूरा करते हुए श्री वर्मा वहां पहुंचे और बर्न वार्ड के ड्यूटी कक्ष में लगा ताला खोलने के बाद ज़ब हमारी टीम से मुख़ातिब हुए तो उन्होंने बताया की वह खाना खाने चले गए थे, इसपर ज़ब उनसे कहा गया की एक तीमारदार पिछले ढाई घंटे से आपकी प्रतीक्षा कर रहा है तो उन्होंने उल्टे उस तीमारदार को ही गलत ठहरा दिया।
ज़ब श्री वर्मा से ये पुछा गया की आपके अन्य सहयोगी कहाँ है तो उन्होंने किसी और से संपर्क होने से इंकार कर दिया। फिलहाल लगभग पांच दिन बाद ड्यूटी पर लौटे प्रमुख अधीक्षक से मामले पर चर्चा की गई तो उन्होंने ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगे जाने की बात कही, साथ ही उन्होंने ये भी कहा की ऐसी शिकायत आजतक नहीं आई लेकिन ऐसी कोई बात है तो कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मामगा जायेगा।
इस पर ज़ब उनको ये याद दिलाया गया की इसके पहले भी आपके द्वारा किये गए निरिक्षण में भी कर्मचारियों के नदारद रहने की बात सामने आई थी और आप द्वारा चेतावनी भी दी गई थी तो आप ये कैसे कह रहे है की इस तरह की शिकायत पहले नहीं आई जिस पर उन्होंने लीपापोती करते हुए फिर से स्पष्टीकरण मांगे जाने और कार्रवाई किए जाने की बात कही।
प्रमुख अधीक्षक श्री गुप्त का बयान ये दर्शाता है की कहीं न कहीं ऐसे कामचोर कर्मचारियों को श्री गुप्त का परोक्ष समर्थन मिला हुआ है जो वेतन तो सरकार से लेते है लेकिन ड्यूटी कहीं और बजाते हैँ या फिर अपने घर में आराम फरमाते हैँ।
फिलहाल देखना ये है की श्री गुप्त इस विषय पर कोई ठोस कार्रवाई करते है या मामले को उच्चाधिकारियों के सज्ञानं में लाना पड़ेगा।