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बनते ही मेडिकल कालेज के चेहरे पर पुत गई कालिख, पम्प ने पेट्रोल देने से किया इंकार, भुगतान न होने से पम्प ने उठाये कदम

पांच राजकीय वाहनों के चक्के जाम, कालेज प्रशासन नही कर रहा भुगतान

14 लाख रुपए वित्तीय वर्ष 2022 -23 का संबद्ध चिकित्सालय राजकीय वाहनों का तेल भुगतान है बकाया

गोंडा। यूँ तो जिले में बाबू ईश्वरशरण जिला चिकित्सालय का संचालन ज़ब से आरम्भ हुआ तभी से वाहनों के संचालन हेतु नगर के पेट्रोल पम्प डीजल और पेट्रोल की आपूर्ति करते आ रहे हैं लेकिन जहाँ तक याद आता है ऐसी स्थिति कभी नहीं आई की पम्प ने अस्पताल को भुगतान न मिलने के चलते तेल की आपूर्ति बंद कर दी हो लेकिन अभी नवनिर्वाचित मेडिकल कालेज का संचालन पूरी तरह से धरातल पर उतरा भी नहीं की मेडिकल कालेज के जिम्मेदारों ने वो कारनामा कर दिखाया जिससे न केवल मेडिकल कालेज की प्रतिष्ठा पर दाग़ लगा बल्कि जिले के चेहरे पर भी कालिख पुत गई।

बार बार अनुरोध करने के बाद भी तेल के बकाये का भुगतान न मिलने से तंग आये पेट्रोल पम्प संचालक ने मेडिकल कालेज को तेल देने से इंकार कर दिया और अस्पताल के दर्जनों वाहनों का चक्का जाम हो गया।

स्वशाशी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय बाबू ईश्वर शरण संबद्ध चिकित्सालय में बजट को लेकर जो ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है इसके चलते जहां एक तरफ डॉक्टर्स और कर्मचारियों में वेतन भुगतान को लेकर रोष व्याप्त है वही अब इसका असर चिकित्सालय के वाहन संचालन पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है। तीन माह से वेतन के मिलने की बाट जोहते निहारते डॉक्टर्स कर्मचारियों की इस त्योहारी सीजन में आंखो की नींद उड़ी हुई है तो राजकीय वाहन, शव वाहन, एंबुलेंस वाहन, के चालक अपने मोबाइल फोन की घंटी की आवाज सुनते ही परेशान हो उठते है। जब मरीज के तीमारदार या रिश्तेदार उनसे शव वाहन या एंबुलेंस वाहन की मांग करते हैं तो वे इधर उधर बगले झांकने लगते हैं। तेल नही है की बात करने पर लोग मारपीट तक पर उतारू हो जाते है। वे इन्हे दलाल और घूस खोर तक कह देते है। आखिर बिना तेल के वे इस सेवा को कैसे जारी रखें। मरीज तीमारदार इन परेशानियों से बेखबर ड्राइवर को दोषी समझ कर उनकी शिकायत करने से भी नही चूकते।

सीएमओ द्वारा संचालित वाहनों ने चिकित्सालय की बचा रखी है इज्जत 

संबद्ध चिकित्सालय में नौ 9 वाहन है। जिनमे एक 1 मंडलीय रक्त संग्रह यान, चार 4 शव वाहन, तीन 3 एम्बूलेंस,एक 1 प्रमुख अधीक्षक वाहन है। चार शव वाहनों में दो शव वाहन UP32-GB-8076ड्राइवर रवि
UP32-AG-3010ड्राइवर पिंटू
सीएमओ के द्वारा संचालित कराया जा रहा है।
जबकि UP41-G-3290
ड्राइवर अरुण सिंह UP43-6416 ड्राइवर माधवराज कोविड एंबुलेंस UP53-CT-0719ड्राइवर श्रवण कुमार एंबुलेंस
UP41-G-2803 ड्राइवर राम गोपाल सिंह एंबुलेंस
UP32-BG-1110 ड्राइवर अभिषेक सिंह अधीक्षक सुमो वाहन शामिल है।

इन वाहनों में दो शव वाहन एक एंबुलेंस क्लच प्लेट, बैटरी, खराब होने वा सर्विसिंग नही होने के कारण खड़े कबाड़ में तब्दील हो रहे है। वही दो एंबुलेंस में मात्र एक एंबुलेंस 2803 ही सेवा दे रही है। हैरानी की बात यह है कि संबद्ध चिकित्सालय के सात 7 वाहनों में मात्र तीन वाहन अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं।

पेट्रोल पंप के द्वारा भुगतान न होने की दशा में तेल देने से इंकार किए जाने के पश्चात अन्य वाहन खड़े धूल फांक रहे है। विभागीय लापरवाही के चलते केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण सेवा का लाभ गरीब आम जनमानस को नही मिल पा रहा है।ऐसे में दो शव वाहन सीएमओ के द्वारा को संचालित कराए जा रहे हैं उन्होंने इस संबद्ध चिकित्सालय की शाख को बचा रखा है वरना स्थिति विस्फोटक नजर आती। इसके बावजूद भी लोग समय से वाहन उपलब्ध न होने के कारण निजी एंबुलेंस वा शव वाहनों के द्वारा अपने परिजनों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने को विवश हैं। तेल के अभाव में जाम हुए वाहनों के चक्के से चिकित्सालय प्रशासन अनभिज्ञ नही है। लेकिन फिर भी इस विकराल समस्या से निजात पाने के बजाए प्रशासन टालमटोल का रवैया अपना रहा है।

भुगतान नहीं तो तेल नही

संबद्ध बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय के राजकीय वाहनों को बूंद बूंद तेल के लिए तरसना पड़ रहा है। क्योंकि बजट के अभाव में पिछले एक वर्ष से राजकीय वाहनों को तेल उपलब्ध कराने वाले सेवा प्रदाता पेट्रोल पंप मेसर्स बैजनाथ पेट्रोल पंप का संबद्ध चिकित्सालय पर 1434758 रुपए राजकीय वाहनों के वित्तीय वर्ष 2022-23 माह 30/9/23 तक का तेल का बकाया है। पेट्रोल पंप के संचालक ने स्पष्ट शब्दों में लिखित रूप से कार्यालय को भेजे गए बिल भुगतान के साथ ही पत्र में लिखा है कि उक्त भुगतान किए जाने के पश्चात ही अब तेल देना संभव है।

क्या बोले जिम्मेदार

तेल के अभाव में वाहनों के थम चुके चक्को के विषय पर बकाया भुगतान किए जाने को लेकर जब मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ धनंजय श्रीकांत कोटस्थाने से फोन पर संपर्क किया गया तो फोन नही उठा। नोडल अधिकारी डॉक्टर कुलदीप पांडे से बात करने पर उन्होंने बताया कि पेट्रोल पंप के संचालक प्रतिमाह बिल नही देते है वे एक वर्ष या दस माह का बिल एकत्रित कर देते हैं जिससे भुगतान की राशि बढ़ कर अधिक हो जाती है। ऐसे में बजट अभाव के चलते बड़ी रकम का भुगतान विभाग के द्वारा जल्दी संभव नहीं हो पाता है। यदि प्रतिमाह बिल प्राप्त हो जाए तो भुगतान में आसानी होगी। तेल देने से इंकार किए जाने के विषय पर वे बोले कि कुछ दिन यह समस्या बनी हुई थी लेकिन अब इसे हल कर लिया गया है। पेट्रोल पंप संचालक से वार्ता हो गई है उन्होंने तेल देने की बात कही है। वाहनों को तेल उपलब्ध कराया जाएगा और सेवाए जारी रहेंगी। थोड़ी बहुत जो परेशानी थी वह भी अब समाप्त हो जायेगी बजट आ गया है। जल्द ही सारे पैसों का भुगतान कर दिया जाएगा।

यह तो सिर्फ हवा हवाई दावा है

यदि हम बात करे कि संबद्ध चिकित्सालय में कार्यरत डॉक्टर्स कर्मचारियों के वेतन की तो उन्हें इसके पूर्व तीन दिनों के अंदर ही वेतन भुगतान का वादा किया गया था लेकिन दो सप्ताह बीत जाने के पश्चात भी वेतन नहीं मिला। ठीक इसी प्रकार अब वाहनों को तेल दिए जाने की बात सूत्रों के द्वारा यह पता चली थी कि 27 अक्टूबर से वाहनों को तेल की आपूर्ति के लिए पंप संचालक को कहा गया है लेकिन सच्चाई यह है कि बहुत ही विशेष परिस्थितियों में वाहनों को तेल दिया जा रहा है वह भी किसी अन्य पेट्रोल पंप के द्वारा। सेवा प्रदाता पंप ने फिलहाल अपने हाथ खड़े कर रखे हैं।

About the author

अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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