कानपुर। तांत्रिक के चककर में आये एक परिवार ने मासूम बच्ची की हत्या कर उसका कलेजा खाने के विभित्स प्रकरण में न्यायालय ने आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ अर्थदंड भी लगाया है, खास बात तो ये है की दिल दहला देने वाली ये घटना पवित्र त्यौहार दीपावली को घटी थी।
घटना वर्ष 2020 के दीपावली के दिन की है ज़ब कानपुर देहात के घाटमपुर के एक परिवार ने इस दरिंदगी को अंजाम दिया। संतान की इच्छा में रखा तांत्रिक के बहकावे में आकर परशुराम और उसकी पत्नी सुनैना ने अन्य सहयोगियों की सहायता से पहले तो एक बच्ची की हत्या की उसके बाद बच्ची के दिल, फेफड़े और आतें बाहर निकाल दी, कहा तो ये भी जाता है की आरोपियों ने बच्ची के कलेजे का सेवन भी किया।
पूरी घटना में सबसे खास बात तो ये है की घटना दीपावली जैसे पवित्र पर्व पर उस समय की गई ज़ब लोग पर्व पर आतिशबाजी कर अपनी खुशियाँ मानाने में व्यस्त थे। जानकारी के अनुसार अपने घर के बाहर खेल रही मासूम पर ज़ब परशुराम के भतीजे अंकुर की निगाह पड़ी तो वो अपने मित्र वीरन की सहायता से उसे खेत में ले गया जहाँ दहशत का नंगा नाच खेलते हुए दरिंदो ने बच्ची की हत्या कर उसे अंगभंग कर दिया और शव को खेत में ही छोड़ दिया।
मामले की तीन वर्ष सुनवाई के बाद न्यायालय ने परशुराम, सुनैयना, अंकुर और वीरन को आजीवन कारावास सहित 25-25 हज़ार रूपए का अर्थदंड भी लगाया है। उल्लेखनीय है की इन सभी अपराधियों को अन्य कैदियों की तरह अच्छे चालचलन के आधार पर जेल में मिलने वाले लाभ और साहूलियतों का लाभ भी नहीं मिलेगा।