मंहगे फर्नीचर व कुर्सियों पर जमी गर्द, कह रही बदहाली की कहानी
गोण्डा। जनपद में उद्योगों का आधार बने जिला उद्योग एवं प्रोत्साहन केन्द्र अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाह रवैये के चलते एक बार फिर अपने कबाड़ युग में वापसी की ओर बढ़ चला है। यह हम नहीं कह रहे यह तो वहां की एक बार फिर से बदहाली की ओर बढ़ रहे कार्यालय की स्थिति बयां कर रही है।
बता दें कि तत्कालीन उपायुक्त राममिलन व समीक्षा अधिकारी एचपी मौर्य द्वारा शासन की मंशानुसार 50 लाख से अधिक की लागत से मरम्मती करण करा कर जिले के सभी कार्यालय भवनों में जिला उद्योग एवं प्रोत्साहन केन्द्र को एक नया और प्रभावशाली लुक दिया गया था।
जिसे वर्तमान के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा उसके तकरीबन 10 लाख की लागत वाले सभागार को स्टोर व कबाड़ खाने के रूप में तब्दील कर दिया गया है।
कार्यालय सूत्रों के मुताबिक उसमें रखी एक-एक कुर्सियां 7800 से लेकर 10 हजार तक की हैं, जिनकी संख्या दर्जनो में है। इसी के साथ हजारों की लागत से वहां रखी मेज के बीच व उसके ऊपर सामान गजे हुये हैं । पूरा हाॅल कचरा घर के रूप में बदल चुका है। इस संबंध में वहां के स्थानीय कर्मियों का जवाब बेहद हैरान करने वाला है,कि यहां सामान रखने के लिये कोई स्टोर नहीं है इसलिए इसे बैठक सभागार में रखा गया है।
वहीं जब इस संबंध में मौजूदा उपायुक्त से बात करने का प्रयास किया गया तो वह उपलब्ध नहीं हो सके। बहरहाल लाखों की लागत से निर्मित इस सभागार की यह स्थित सरकारी रुपये का बंटाधार तो कर ही रही हैं ।इसी के साथ सरकार व शासन की महत्वाकांक्षा को पलीता लगाते हुए नजर आ रही हैं।
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