कोर्ट के निर्णय पर उठ रहे सवालिया निशान
गुना मध्यप्रदेश। नाबालिग बालिका से छेडछाड करने के आरोपी की अपील पर न्यायालय ने एक ऐसी अनोखी शर्त रख दी जिसे सुनकर लोग हैरान है।
मामला जनपद के बमौरी थाने का है जहां विगत 6 नवम्बर 2015 को एक नाबालिग बालिका को एक मनचले ने छेड दिया था जिसके विरूद्व पुलिस में शिकायत भी दर्ज करायी गयी थी और न्यायालय में चले मामले में आरोपी को 3 साल की सजा भी सुनाई गयी।
दर्ज करायी गयी शिकायत के मुताबिक स्कूल जा रही पीडित बालिका का फिरोज खान नाम के एक बदतमीज युवक ने हाथ पकड लिया और छेडछाड की, पीडित बालिका की लिखित शिकायत पर पुलिस ने फिरोज के विरूद्व पाक्सो एक्ट और छेडछाड का मुकदमा दर्ज किया, न्यायालय ने मामले में फिरोज को दोषी पाते हुए इसी माह 2 तारीख को 3 साल की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया।
स्थानीय न्यायालय के इस आदेश के विरूद्व फिरोज हाईकोर्ट पहुचंा जहां उसने दलील दी कि उसने मात्र लडकी का हाथ ही पकडा था लेकिन उसे बडी सख्त सजा दी जा रही है उसने अपना भविष्य खराब होने की भी दलील दी जिस पर कोर्ट ने सजा को निलम्बित करने के लिए फिरोज के सामने एक अनोखी शर्त रख दी।
कोर्ट ने फिरोज के सामने शर्त रखते हुए कहा यदि उसे अपने भविष्य की चिन्ता है तो उसे प्रति सप्ताह मे ंदो दिन बमौरी के चिकित्सालय में मरीजों की चार घंटे सेवा करनी होगी, और उसे यह काम अगले छह माह करने होगें।
कोर्ट के इस निर्णय को जहा कुछ लोग सराहनीय बता रहे है तो वही ऐसे लोगो की संख्या काफी ज्यादा है जो इस पर उगली उठा रहे है ऐसे लोगों का कहना है कि छेडछाड के मामले में सजा पाये लोगों को यदि इस दलील पर ढील दी जाती है कि उनका भविष्य खराब हो जायेगा तो ऐसे मामलो में कमी नहीं आयेगी। लोगों को मासूम बच्चियों को छेडने से पहले यह सोचना चाहिए की उनका भविष्य खराब हो जायेगा साथ ही जिन बच्चियों के साथ ऐसी घटना होती है उन्हें भी ऐसे निर्णयों से काफी दुख होगा और भविष्य में छेडछाड की घटना बढेगी ओैर पीडित शिकायत करने से भी परहेज करेगी।