बड़े पैमाने पर मेडिकल कालेज में की गई तोड़फोड़, कही सुबूतों को नष्ट करने की साजिश तो नहीं
कब लगेगा बंगाल में राष्ट्रपति शासन, केंद्र ने डाक्टरों को छोड़ा बेसहारा
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)। चुनाव का समय हो, उसके पूर्व या बाद का समय हो, सामान्य समय हो, ऊँची आवाज वाली महिला नेत्री ममता बनर्जी के शासन वाले पश्चिम बंगाल में हत्या, लूट, बलात्कार, आगजनी, वर्ष के सभी समय एक सामान्य बात हो गई है, खास बात तो ये है की ममता द्वारा न तो स्थिति को सँभालने का प्रयास किया जा रहा है और न ही दोषियों पर कार्यवाई करने का उल्टे ये लगभग सभी मामलों में देखा जा रहा है की आरोपियों की बचाने का और उन्हें संरक्षण देने का ही प्रयास ममता द्वारा किया जाता दिखाई दें रहा है।
यहाँ पूर्व में घट चुकी घटनाओं की बात नहीं बल्कि एक महिला चिकित्सक की हत्या और गैंगरेप की बात ही होगी, बड़े बड़े दावे करने वाली ममता के साबित निकम्मेपन के चलते सीबीआई के संरक्षण में चल रहीं जाँच के बीच ही अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे आर जी कर अस्पताल के चिकित्सकों पर आज हज़ारों की भीड़ ने अकस्मात हमला कर दिया।
हमलावरों ने प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों को न केवल वहां से खदेड दिया बल्कि लगाए गए मंच को तहस नहस कर दिया, लगाई गई कुर्सियों को तोड़ने के साथ वहां लगे पंखे भी तोड़ डाले, ताज़ा जानकारी के अनुसार भीड़ ने मंच को तो तहस नहस किया ही अस्पताल में भी घुस गए और वहाँ भी जमकर तांडव मचाया।
किसी तरह वहां से जान बचाकर भागे डाक्टरों ने बताया की आज हम लोग महिला डाक्टरों के साथ पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मार्च की तैयारी कर ही रहे थे की तभी पता नहीं कहाँ से बहुत सारी भीड़ वहां आ गई जिसे पुलिस भी रोक नहीं पाई, हम किसी तरह अपनी जान बचाकर वहाँ से भागे, भीड़ ने वहां कुछ देखें बिना सभी को मारना शुरू कर दिया वो चाहे डाक्टर हो मरीज हो या फिर मरीजों के परिजन, महिला डाक्टरों को भी नहीं छोड़ा, हम अपनी जान बचाकर जिसको जहाँ जगह मिली वो वहां छुप गया।
डाक्टरों का ये भी कहना था की अभी सुचना मिली है की एक भीड़ अभी और आने वाली है जिसमे तीन से चार हज़ार लोग हैं।
संलग्न वीडियो में आप स्पष्ट देख सकते हैं की ममता के अराजक राज्य में धरती के भगवान कहे जाने वाले किस तरह अपनी जान बचाकर इधर उधर छुपते दिखाई दें रहे हैं, इन घटनाओं का एक सीधा सा और स्पष्ट सन्देश है की अपने साथ हुए किसी भी अत्याचार के विरुद्ध आवाज भी उठाने की कोशिश करोगे तो तुम्हे आवाज भी उठाने नहीं दिया जायेगा।
बंगाल की स्थितियों को देखते हुए ममता से सवाल तो बेमानी ही है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार से सवाल जरूर पूछा जाना चाहिए की क्या वो अपनी छवि को सुन्दर बनाये रखने के लिए बंगाल की जनता को उनके हाल पर ही छोड़े रखना चाहती है, क्या उनका इस अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगे सुन्दर प्रदेश से और उसकी जनता से कोई सरोकार नहीं है, वो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाएगी चाहे वहां की जनता घुट घुटकर मरती रहे।