तरबगंज, मनकापुर और नगर पुलिस के अभियान में भारी मात्रा में पटाखा सामग्री सहित पांच को किया गिरफ्तार
गोण्डा। जैसा की हमेशा होता रहा है घटना दुर्घटना होने के बाद ही पुलिस हरकत में आती है, यहाँ तो सवाल दो मौतों का है अगर इतनी बड़ी घटना न हुई होती तो शायद जिले की भ्रस्ट पुलिस अभी भी चैन की नींद सो रहीं होती और लेनदेन और सेटिंग के आधार पर अवैध पटाखों या कहें जानलेवा बम बनाने का धंधा अनवरत चलता रहता, फिलहाल मौत के बाद चैतन्यवस्था में आई जिले की पुलिस ने कई थाना क्षेत्रों में छापे मारकर पांच लोगो सहित भारी मात्रा में अवैध पटाखे बरामद किये है लेकिन कुछ सवाल ऐसे हैं जिन्हे पुलिस ने अभीतक नहीं दिया और शायद वो मिले भी नहीं क्योंकि पुलिस मामले को बेहद हल्के में लेकर औपचारिकता निभाती ही दिखाई दें रहीं है।
सोमवार को थाना तरबगंज अंतर्गत एक स्थान पर बनाये जा रहे पटाखे या कहे जानलेवा बम के विस्फोट में दो लोगो की मौक़े पर ही मौत हो गईं जबकि तीन अन्य बेहद ही गंभीर रूप से घायल हो गए, मंगलवार को पुलिस अधीक्षक ने खानापूर्ति करने के लिए जिले भर की पुलिस को पटाखे के प्रति अभियान चलाने का आदेश दें दिया। अब कप्तान का आदेश है तो कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा तो खानापूर्ति करते हुए तरबगंज, मनकापुर और नगर पुलिस ने कुछ स्थानों पर छापा मारा और पांच लोगो को गिरफ्तार कर लिया।
लेकिन सवाल जिसका उत्तर अभीतक नहीं मिला की तरबगंज में जो पटाखा बनाया जा रहा था क्या वो वास्तव में पटाखा ही था या उच्च विस्फोट शक्ति का जानलेवा बम था दिवाली में उपयोग किये जाने वाले किसी भी पटाखे में इतनी शक्ति नहीं होती जिसके विस्फोट से किसी व्यक्ति की मौत हो जाये और कई व्यक्तियों के शरीर छतविछत हो जाये।
ज्ञात हो की तरबगंज के मामले में मौक़े पर दो की मौत के साथ तीन गंभीर रूप से घायल हुए थे जिनकी स्थिति इतनी गंभीर थी की उन्हें लखनऊ रेफेर करना पड़ा, प्रत्यक्षदर्शीयों की माने तो घायलों में से एक का पैर गायब हो गया, दूसरे का हाथ गायब हो गया तो तीसरा भी बुरी तरह घायल हो गया। क्या कोई पटाखा फटने पर इतनी तबाही मचा सकता है, जरूर उस जगह पर उच्च विस्फोट शक्ति के बम बनाये जा रहे थे और यदि ऐसा है तो ये बम क्यों बनाये जा रहे थे, कहीं जिले के अराजक तत्वों द्वारा आगामी त्योहारों में किसी बड़ी घटना की अंजाम देने की योजना तो नहीं थी?
बताया तो ये भी जा रहा है की जिस मकान में विस्फोट हुआ वो कई वर्षो से बंद है उसका मालिक कहीं बाहर रहता है तो ये स्पष्ट है की पटाखे बनाने का काम कोई इस बार ही नहीं हो रहा था ये पिछले कई वर्षो से चल रहा था और इस अवैध फैक्ट्री की जानकारी तरबगंज पुलिस को क्यों नहीं थी या फिर सबकुछ जानते हुए इन आराजकतत्वों पुलिस ने अपनी फीस लेकर अभयदान दें रखा था और इस बार ये अभयदान इन तत्वों को जानलेवा बम बनाने के लिए प्रेरित कर गया, वो तो विस्फोट हो गया और कुछ की मौत हो गईं नहीं तो शायद भविष्य में बड़ी घटना घटती जिसमे भारी जानमाल की क्षति अवश्य होती।
अब देखना है की जिले के कप्तान विनीत जायसवाल इन सवालों को कितनी गंभीरता से लेते हैं और अपनी छवि के अनुसार जिले को सुरक्षित बनाने के लिए कौन सा कदम उठाते हैं।