गोण्डा। यह अत्यन्त आश्चर्य एवं दुःख की बात है कि विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि के बारे में आज भी विवाद बना हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास का जन्म गुरू स्वामी नरहरिदास के आश्रम सूकरखेत पसका के पास तुलसीधाम राजापुर में हुआ था, परन्तु कुछ लोग निहित स्वार्थ के कारण तुलसीदास जी का जन्मस्थान बांदा जिले के राजापुर वर्तमान चित्रकूट बताते हैं, उक्त बाते आज सिचाई विभाग गेस्ट हॉउस में आयोजित एक संछिप्त पत्रकार वार्ता में सनातन धर्म परिषद एवं श्री तुलसी जन्मभूमि न्यास के संस्थापक और अध्यक्ष डा0 स्वामी भगवदाचार्य ने कही।
उन्होंने ये भी खा की, जबकि इसका कोई आधार नहीं है, इस सम्बन्ध में बांदा के जिला गजेटियर में लिखा है कि श्रीरामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास यमुना पार करके आये थे तथा इम्पीरियल गजेटियर कलकत्ता में लिखा है कि तुलसी ने राजापुर बसाया था। अतः राजापुर चित्रकूट तुलसी जन्मभूमि होने का कोई प्रश्न ही नहीं है। गोस्वामी तुलसीदास के जन्म के समय चित्रकूट के राजापुर का नाम विक्रमपुर था। गोस्वामी तुलसीदास के महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने जन्मस्थान के विकास के लिये 21 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की है। इसमें से चार करोड पचास लाख की धनराशि विकास हेतु जारी भी कर दिया है। उसे उपयुक्त नहीं कहा जा सकता है।
जब यह निर्विवाद सिद्ध हो गया है कि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म गोण्डा जिले के राजापुर में हुआ था। तो यह धनराशि तुलसी जन्मभूमि राजापुर गोण्डा के विकास के लिये ही खर्च की जानी चाहिए।
इसी संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि गोस्वामी तुलसीदास जी गोण्डा जिले के राजापुर को गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म स्थान घोषित करने के लिये एक घोषणात्मक वाद न्यायालय सिविल जज (जू०डि०) महोदय गोण्डा के यहां दाखिल किया जा चुका है। जिसकी अगली सुनवाई 25 नवम्बर 2024 को होना निश्चित है। इसलिये राज्य सरकार से निवेदन है कि गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्मस्थान के लिये जो 21 करोड़ की धनराशि स्वीकृति किया गया है, उसको गोण्डा के राजापुर जो गोस्वामी तुलसीदास जी के वास्तविक जन्मभूमि है। उसके विकास में खर्च किया जाना चाहिए।
बहुत पहले से सनातन धर्म परिषद एवं श्री तुलसी जन्मभूमि न्यास द्वारा राज्य सरकार को सुझाव दिया गया कि गोस्वामी तुलसीदास जी के नाम पर एक विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। यह संयोग की बात है कि राज्य सरकार गोण्डा जिले में एक विश्वविद्यालय की स्थापना करने के लिये उद्यत है। इसलिये ज्यादा अच्छा होगा कि तुलसी जन्मभूमि के पास ही गोस्वामी तुलसीदास जी के सम्मान में तुलसी विश्वविद्यालय की स्थापना किया जाना अत्यन्त समीचीन होगा।