प्रधाध्यापिका सस्पेंड, मामले की जाँच जारी
मिर्जापुर। वैसे तो परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को मिलने वाले खाने और पेय पदार्थ में व्याप्त भ्रस्टाचार का मामला कोई नया नहीं है और आरोपियों पर समय समय पर कार्यवाई भी होती रहती है लेकिन नीचे से लेकर ऊपर तक के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत ने इसे पूरा व्यावसायिक रूप डे दिया है जिससे इस पर पूरी तरह रोक लगाना या समाप्त करना संभव नहीं हो रहा।
भ्रस्टाचार का ये अनोखा मामला जिले के कंपोजिट विद्यालय हिनोता का है जो विकास खंड जमालपुर में स्थित है, जानकारी के अनुसार यहाँ की प्रभारी प्रधानाध्यापिका सरिता देवी मात्र 2 लीटर दूध की व्यवस्था की थी जबकि विद्यालय में बच्चों की संख्या 150 है।
मामला विगत 4 दिसंबर का है जिस दिन बच्चों में दूध का वितरण किया जाना था, अभिभावकों को इस गड़बड़ झाले की जानकारी पहले ही हो चुकी थी, वितरण शुरू होते ही विद्यालय पहुंचे अभिभावकों ने प्रधाध्यापिका से जानकारी चाही की कितना दूध बच्चों को दिया जाना है जिसपर उत्तर मिला, 3 लीटर, इस पर ज़ब दूध की माप कु गईं तब वो मात्र 2 लीटर निकला।
भ्रस्टाचार के इस शर्मनाक मामले का अभिभावकों ने वीडियो बनाया और खंड शिक्षाधिकारी से संपर्क कर उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया जिसपर विद्यालय पहुँच खंडशिक्षाधिकारी ने दूध की जाँच कर रिपोर्ट बी एस ए को प्रेषित कर दी, रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिक कार्यवाही करते हुए बी एस ए ने प्रधानाध्यापिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए मामले की जाँच के लिए टीम का गठन कर दिया है।
यहाँ ये भी बताना आवश्यक है की नियमानुसार कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को प्रति बच्चा 150 ग्राम तो कक्षा 6 से लेकर आठ तक के बच्चों को 200 ग्राम दूध दिया जाना होता है जबकि प्रधानाध्यापिका सरिता देवी ने मात्र 2 लीटर दूध में 150 बच्चों को निपटाने की योजना बना रखी थी।