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तो डाक्टर को क्लीनचिट देने की तैयारी में है मेडिकल कालेज प्रशासन, रोगी से रिश्वत मांगने का लगा है आरोप

टीम की व्यस्तता बता जाँच को भी लटकाने का किया गया प्रयास

गोण्डा। वैसे तो ये सर्वविदित है की मेडिकल कालेज से सम्बद्ध बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय भ्रस्टाचार का अड्डा बना हुआ है, आशा थी मेडिकल कालेज का संचालन आरम्भ होने के बाद व्यवस्था में कुछ सुधार होगा लेकिन सुधार होना तो दूर व्यवस्था धीरे धीरे चरमराती चली गईं जिसका प्रमाण कई विभागों में डाक्टरों और कर्मचारियों की भरमार के बाद भी भयंकर लापरवाही के चलते मरीजो की मौत और कुछ विभाग ऐसे है जो एक एक डाक्टर के लिए तरस रहे हैं, लेकिन प्रशासन और उसके सर्वेसर्वा कान में तेल डाल धृतराष्ट्र बने हैं।

फिलहाल हम बात कर रहे हैं हड्डीरोग विशेषज्ञ डाo अतुल सिंह की जिनपर पिछले 17 जनवरी को आरोप लगा की इन्होने रोगी से ऑपरेशन थिएटर में एक रोगी से ऑपरेशन के लिए छह हज़ार रुपये की मांग की, रोगी द्वारा पैसे देने में असमर्थता जताने के बाद उसे दवाइयों सहित कुछ अन्य सामान बाहर से खरीदकर लाने के लिए पर्चा थमा दिया।

पीड़ित ने डाक्टर अतुल सिंह के इस भ्रस्ट आचरण की लिखित शिकायत मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने से की, मीडिया की सुर्खियां बने इस प्रकरण पर प्रधानाचार्य ने जाँच टीम का गठन तो कर दिया लेकिन प्रयास यही रहा की किसी तरह मामले को ठंढे बस्ते में डाल दिया जाये। जिसका प्रमाण ये रहा की ज़ब भी इस प्रकरण पर की जाने वाली कार्यवाई के बारे में प्रधानाचार्य से जानकारी चाही गईं तो उन्होंने जाँच के लिए निर्धारित की गईं समयसीमा समाप्त होने के बाद भी टीम के व्यस्त होने के कारण जाँच पूरी न होने की बात बताते रहे।

प्रधानाचार्य इस प्रकरण पर कोई कार्यवाई नहीं करना चाहते इसका प्रमाण एक बार पुनः तब मिला ज़ब जाँच रिपोर्ट सबमिट होने के बाद उनसे संपर्क कर कार्यवाई की जानकारी चाही गईं तो उन्होंने पूरी तरह ख़ामोशी ओढ़ते हुए 48 घंटे से ऊपर होने और समाचार लिखें जाने तक भी अपनी ख़ामोशी नहीं तोड़ी।

यहाँ ये भी बताना आवश्यक है की शल्यचिकित्सा के रोगियों से कोई एक अतुल सिंह ने ही रिश्वत नहीं मांगी है बल्कि बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय में होने वाले सभी ऑपरेशन बिना सुविधा शुल्क लिए संपन्न नहीं होते हैं, सुविधा शुल्क पूरी गोपनीयता से ली जाये इसके लिए सभी चिकित्सकों ने चिकित्सालय में अपने दलालों की फौज उतार रखी है जो चिकित्सालय के गरीब मरीजों को चिकित्सकों के निजी चिकित्सालय में हस्ताँतरित करने के अतिरिक्त रिश्वत का लेनदेन भी करते हैं।

फिलहाल डाo अतुल सिंह के प्रकरण में देखना है की मेडिकल कालेज प्रशासन कोई कठोर कार्रवाई करता है या फिर पैदा हो रही शंकाओं को मजबूत कर बाबू ईश्वरशरण के नाम पर पूर्व की तरह धब्बा ही लगाता रहेगा।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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