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निरंकुश हुए भ्रस्ट सरकारी चिकित्सक, धड़ल्ले से निजी पैथालॉजी को दे रहे अपनी सेवाएं

बेहिचक उपयोग कर रहे निजी जाँच केंद्रों के प्रिंटेड कार्ड

गोण्डा। कहने को तो मेडिकल कालेज से सम्बद्ध चल रहे जिला चिकित्सालय में जगह जगह दीवालों पर लिखा है की “दलालों से बचे” “सभी तरह की जाँच और दवाएं अस्पताल में उपलब्ध है” लेकिन इन नारों की वास्तविकता पूरी तरह अलग है, दलालों ने अस्पताल पर पूरी तरह कब्ज़ा जमा रखा है, वेतन के रूप में लाखों ₹ की राशि उठाने वाले डाक्टर निडर और निर्भीक होकर धड़ड़ले से बाहर की दवा और जाँच लिख रहे हैं, न तो कोई इन्हे रोकने वाला है और न ही इनके विरुद्ध कोई कार्यवाई करने वाला है।

ये भ्रस्ट चिकित्सक अब इतने निरंकुश हो चुके है की इन्हे न तो जिला प्रशासन का डर है और न ही मेडिकल कालेज प्रशासन का, चिकित्सकों द्वारा रोगियों को अस्पताल से बाहर की दवा और जाँच लिखा जाना कोई नई बात नहीं है पहले भी चिकित्सक ऐसा करते रहे हैं लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं एक डर बना रहता था और वे ये काम चोरी छुपे ही करते थे लेकिन ज़ब से जिला चिकित्सालय को मेडिकल कालेज से सम्बद्ध किया गया है या कहे जिला चिकित्सालय की व्यवस्था मेडिकल कालेज के अधीन आई है तबसे ये भ्रस्ट चिकित्सक पूरी तरह निरंकुश हो गए हैं।

इस बात का प्रमाण इस बात से मिलता है की जो काम अबतक चोरी छुपे होता था वो अब खुलेआम होने लगा है, भ्रस्ट चिकित्सक निजी जाँच केंद्रों के बाकायदा प्रिंटेड कार्ड तक अपनी ओ पी डी में अपने पास रखने लगे है, उनकी निडरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है की ये डाक्टर निजी जाँच केंद्रों के प्रिंटेड कार्ड पर अपना नाम भी लिखकर दे रहे हैं।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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