उत्तर प्रदेश गोंडा लाइफस्टाइल

दो जनपदों के सीमा विवाद में पिस रहे ग्रामवासी, शासन की योजनाओं से नहीं हो पा रहे लाभान्वित

राजस्व कर्मियों पर लगे गंभीर आरोप 

सीमा विवाद को लेकर पीड़ित ने मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी से लगाया न्याय की गुहार

गोंडा।  46 वर्ष पूर्व हुए समझौते की फ़ाइल को गायब कर राजस्व कर्मियों ने गोण्डा और बाराबंकी की सीमा पर स्थित ग्रामवासियो के लिए इतनी बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी की जिसके कारण आज ग्रामवासी शासन की योजनाओं का भी लाभ नहीं ले पा रहे, राजस्व कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए ग्रामवासियो ने जिलाधिकारी सहित मुख्यमंत्री से सीमा विवाद को सुलझाने की गुहार लगाई है।

मामला जनपद गोण्डा के तहसील कर्नलगंज अंतर्गत बहुवन मदार माझा तथा ग्राम कमियार परगना दरियाबाद तहसील रामस्नेही घाट जनपद बाराबंकी के मध्य भूमि विवाद का है, सीमा विवाद का मामला बहुत पुराना है जिस पर वर्ष 1979 में दोनों जनपदों के जिलाधिकारियों ने एक समझौता कराया था जिस पर सभी पक्ष सहमत थे लेकिन पीड़ितों की माने तो समझौते के उन दस्तावेजों को राजस्व कर्मियों द्वारा गायब करा दिया गया जिससे जो विवाद सुलझ गया था वो फिर खड़ा हो गया।

जनपद गोण्डा के ग्राम बहुवन मदार मांझा निवासियों का कहना है की जनपद बाराबंकी के राजस्व विभाग के कर्मचारी और जनपद गोण्डा के राजस्व विभाग के कर्मचारी सीमा विवाद की भूमि का चार बार पैमाइश करके जमीन का नाप जोख तो कर दिया लेकिन उसके बाद भी काफी दिनों से बाराबंकी व गोण्डा के राजस्व कर्मचारी सीमा विवाद का मामला सुलझा नही पा रहे हैं, जिसके कारण मामला बढ़ता जा रहा है। गोंडा जिले के तहसील कर्नलगंज क्षेत्र अंतर्गत बहुवन मदार मांझा के निवासी सर्वजीत, शिव गोविन्द, उदय राज आदि समस्त ग्राम वासी ने सोमवार को गोंडा के जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है।

उनका कहना है की सीमा विवाद को लेकर दोनों तरफ किसानो की परेशानी बढ़ती जा रही है, जबकि गोण्डा जिला के किसान ज्यादा परेशान हैं, ऐसी स्थित में सीमा विवाद का निस्तारण कराया जाना अति आवश्यक है। पीड़ित जनों का कहना है कि यदि इस मामले का निस्तारण जल्द से जल्द नहीं कराया गया तो प्रार्थी गण अपने जान गवाने को तैयार हैं। जिसके चलते गोण्डा जनपद के किसान का कहना है कि यदि विवाद को लेकर हम लोग किसान आत्म हत्या करते हैं तो उसकी सारी जिम्मेदारी गोंडा प्रशासन की होगी।

आपको बता दें कि गोण्डा जिले के किसानों को मुख्यमंत्री आवास मिला था लेकिन बाराबंकी के किसान अपनी जमीन बता कर आवास बनने नहीं दे रहे हैं, पीड़ित बताते हैं कि वर्ष 15. मार्च 1979 के आदेश की फाइल बाराबंकी के राजस्व कर्मचारियों द्वारा गायब कर दी गयी है, गायब करने के आधार पर फर्जी तरीके से गोण्डा की जमीन पर जबरन कब्जा कर रहे हैं। उक्त सारी बातें प्रार्थीगण ने अपने लिखित प्रार्थना पत्र में दर्शाते हुए जिलाधिकारी गोंडा से लेकर मुख्यमंत्री के यहां तक न्याय की गुहार लगाई है। साथ ही उपरोक्त प्रकरण पर जनपद के अधिनस्थ कर्मचारियों द्वारा जांच करा कर किसानों की सीमा विवाद का निस्तारण करवाने की मांग की है।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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