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डा0 सुवर्णा को प्रिंसिपल की चेतावनी क्या रोक पायेगी इनकी कारस्तानी

वेतन सरकार से लेकिन सेवा देती हैं निजी जाँच केंद्रों को 

दलालों का बना रखा है नेटवर्क, महिला चिकित्सालय में सेवा के दौरान भी रहा है भ्रस्टाचार से नाता 

गोण्डा। जिला चिकित्सालय या कहे जिले के स्वशासी मेडिकल कालेज में जूनियर रेजिडेंट के पद पर तैनात महिला चिकित्सक डा0 सुवर्णा कुमार के कालेज कारनामें जो महिला चिकित्सालय में तैनाती के समय शुरू हुए वे अब भी नहीं थम रहे जो जिम्मेदारों कि धुलमूल नीति का स्पष्ट प्रमाण है, हालांकि ताज़ा मामले में मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल ने उन्हें चेतावनी एक बार फिर औपचारिकता निभाई है लेकिन बड़ा सवाल तो ये है कि बार बार अपने भ्रस्ट आचरण से जिले के स्वस्थ्य सेवा पर कुठाराघात और और अपने अधिकारियों को ठेंगा दिखाने वाली डा सुवर्णा पर इस बार कि चेतावनी क्या कोई लगाम लगा पायेगी या इनकी भ्रस्ट कार्यशैली इसी तरह अनवरत जारी रहेगी।

प्रकरण जिला चिकित्सालय में उपलब्ध जाँच सुविधाओं के लिए भी रोगियों को निजी जाँच केन्द्रो में भेजकर अवैध धन उगाही से जुड़ा है, ज्ञात हो कि विगत 14 फरवरी को सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर कि गईं पड़ताल पर पता चला कि डा सुवर्णा द्वारा एक मरीज को जिले के एक निजी जाँच केंद्र से अल्ट्रासॉउन्ड कराने को कहा गया है।

समाचार वार्ता टीम द्वारा ज़ब रोगी महिला और उसके परिजनों से बात कि गईं तो उनके साथ लगी दलाल ने पहले तो पर्चा देखने और जानकारी से बचने का प्रयास किया लेकिन किसी तरह डा सुवर्णा द्वारा लिखा पर्चा ज़ब सामने आया तो पता चला पर्चे के साथ ही रोगी को होप स्कैनिंग सेंटर का प्रिंटेड कार्ड भी डा सुवर्णा द्वारा दिया गया है जिसपर डा के हस्ताक्षर भी है, कार्ड पर लिखें जाँच सुविधाओं में अल्ट्रासॉउन्ड पर निशान भी लगे हैं जिसका स्पष्ट आशय है कि होप से रोगी को अल्ट्रासॉउन्ड कराना है।

मरीज से ली गईं जानकारी में रोगी ने बताया भी है कि ये जाँच बाहर से कराने को कहाँ गया है जिले संलग्न वीडियो में साफ देखा जा सकता है हालांकि इस दौरान वहां मौजूद महिला दलाल बराबर टोकाटाकी करते हुए मामले को हल्का करने का प्रयास भी करती रही।

यहाँ ये भी बताना आवश्यक है कि डा सुवर्णा अपने महिला चिकित्सालय में तैनाती के दौरान भी कुछ इसी तरह के विवादों में रही हैं जिसकी शिकायत भी तत्कालीन सी एम एस अनिल कुमार तक पहुँचती रही लेकिन उस समय भी उनकी ढुलमूल नीति और डा सुवर्णा कि ड्रामेबाजी इन्हे बचाती ही रही है, यहाँ उन्हें ड्रामेबाज कि संज्ञा इसलिए दी जा रही है कि इसी तरह के एक शिकायत के चलते ज़ब इन्हे सी एम एस द्वारा अपने चैम्बर में बुलाया गया तो इन्होने पत्रकारों के सामने ही रोना शुरू कर अपने को निर्दोष साबित करने का प्रयास किया था।

प्रकरण को ज़ब मेडिकल कालेज प्रिंसिपल डा धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने के सज्ञानं में लाया गया तो उन्होंने भी पूर्व कि ही तरह औपचारिकता निभाते हुए इन्हे चेतावनी दिए जाने कि बात कहते हुए बताया कि यदि भविष्य में फिर इसी तरह कि कोई शिकायत प्राप्त होती है तो कड़ी कार्यवाई कि जाएगी।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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