उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

भोजन के बाद करें दवावों का सेवन, फाइलेरिया से पाएं जीवनभर की सुरक्षा

जनपद में 10 अगस्त से शुरू होगा सामूहिक दवा सेवन अभियान

गोंडा। फाइलेरिया जैसी गंभीर और अपंग बना देने वाली बीमारी से बचाव के लिए आगामी 10 अगस्त से जिले के 12 ब्लॉकों में सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान की शुरुआत होगी। इसके तहत 2,305 टीमें घर-घर जाकर करीब 28.8 लाख की आबादी को अपने सामने फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगी, जबकि 385 सुपरवाइज़र फील्ड में निगरानी और मार्गदर्शन की भूमिका निभाएंगे।

भ्रम से बचें, भोजन के बाद लें दवा

कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. सी.के. वर्मा ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवाएं डीईसी (हेट्राजान) और एल्बेन्डाजोल पूरी तरह सुरक्षित हैं। डीईसी का उपयोग पहले से सांस की बीमारियों और एल्बेन्डाजोल का पेट के कीड़ों के इलाज में होता रहा है। साल में सिर्फ एक बार ली गई इन दवाओं की पूरी खुराक फाइलेरिया से बचाव में कारगर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन दवाओं को खाली पेट सेवन नहीं करना है और सभी दवाओं की पूरी खुराक एक साथ सेवन करना है तभी इसका पूरा लाभ मिलेगा, यह दवाएं गर्भवती, दो साल से छोटे बच्चे और गंभीर बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाई जाएगी।

डॉ. वर्मा ने सुझाव दिया कि प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मील के बाद, और छात्रावासों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भोजन के बाद ही दवा का सेवन कराया जाए, ताकि किसी तरह की परेशानी न हो।

बीमारी से पहले सावधानी ज़रूरी

नोडल अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया एक छिपी बीमारी है, जिसके लक्षण — जैसे हाथ-पैर में सूजन, हाइड्रोसिल या महिलाओं के स्तनों में सूजन — मच्छर के काटने के 10-15 साल बाद सामने आ सकते हैं। जिले में 2,065 फाइलेरिया मरीज और 264 हाइड्रोसिल के मामले दर्ज हैं। इसलिए बीमारी होने से पहले दवा सेवन ही सबसे कारगर उपाय है।

मरीज भी कर रहे जागरूक

बेलसर ब्लॉक के भमैचा गाँव की “सीएचओ–रोगी हितधारक समूह” की सदस्य 39 वर्षीय बबिता सिंह पिछले 8 वर्षों से फाइलेरिया के दर्द और सूजन से जूझ रही हैं। अब वे कहती हैं,
“मच्छर कहीं भी किसी को भी काट सकते हैं। दवा ज़रूर खाइए, वरना ज़िंदगी भर पछताना पड़ सकता है।”
सीएमओ डॉ. रश्मि वर्मा ने आमजन से अपील की है कि इस बार कोई चूक न हो। फाइलेरिया से बचाव हमारे हाथ में है। अफवाहों पर ध्यान न दें, स्वास्थ्यकर्मियों पर भरोसा करें और जब वे दवा लेकर आएं, तो उनके सामने ही पूरे परिवार के साथ सेवन ज़रूर करें। यही अपने परिवार ,गांव और समाज को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने का रास्ता है।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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