नई तकनीक नया ज्ञान, हर मौसम में आंख का आपरेशन बनाए आसान
गलत धारणाओं और अफवाहों से रहे सावधान
गोंडा। कहते हैं कि आंख है तो जहान है! और जब इन आंखों में कोई बदलाव या परेशानी होती हैं तो व्यक्ति परेशान हो उठता है। आंखो से संबंधित कई रोग भी व्यक्ति के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जिनमे मोतियाबिंद, नासूर, नखुना, आंखों का भेंगा पन, या इंट्रोपियान जैसे गंभीर रोग शामिल हैं। पूर्व में प्रचलित इलाज के द्वारा इसमें मरीजों के इलाज या आपरेशन के लिए अधिक समय के साथ ही एक विशेष मौसम सर्दियों का इंतजार करना होता था। लेकिन समय के साथ नई तकनीक और नए ज्ञान ने अब इस क्षेत्र में भी बदलाव ला दिया है। जहां पूर्व में सर्दियों का इंतजार करना होता था, वहीं अब नई तकनीक के चलते आंखों के आपरेशन अब किसी भी मौसम में संभव है। और यह सब मुमकिन हुआ है नई तकनीकी ज्ञान और आधुनिक मशीनों के द्वारा।
लोगों की परेशानियों को देखते हुए इस बारे में जब जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के नेत्र विशेषज्ञों और निजी चिकित्सालयों के नेत्र विशेषज्ञ चिकित्सकों से बात की गई तो कई भ्रांतियां और अफवाहों का भ्रम टूट गया।
निजी चिकित्सालय के फेंको आई सर्जन डॉक्टर पुनीत श्रीवस्तवा ने बताया कि पूर्व में लोग सर्दियों का आपरेशन के लिए इंतजार करते थे। इंट्रा कैप्सूलर कैटरेक्ट एक्सट्रैक्शन जिसे ICCE भी कहते हैं के आपरेशन में 10 मि.मी. का चीरा लगता था और लेंस भी निकल लिया जाता था। कोई नया लेंस नही लगाया जाता था। मरीज को 4 से 7 दिन बेड पर रहना होता था। मोटा चश्मा लगता था फिर भी आंख की रोशनी अच्छी नही आती थी। अब चीजें बदल गई है। नई तकनीक के चलते अब किसी भी मौसम में आंख का आपरेशन संभव है। और अब फेंको मशीन के द्वारा मिनटों में आंख का आपरेशन हो जाता है। दर्द रहित इस प्रक्रिया में 2.2 मि.मी.से 3.2 मि.मी.के चीरे से आपरेशन होता है।फोल्डेबल लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है।मरीज एक दिन में घर जा सकता है। दवाइयां एक सप्ताह तक लेनी होती हैं।
निजी चिकित्सालय के चिकित्सक डॉक्टर योगेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि लोगों के बीच भ्रांतियां फैली हुई हैं कि आंखो का आपरेशन सिर्फ सर्दियों में ही करवाना चाहिए जो की गलत है अब स्माल इंसीजन कैटरेक्ट सर्जरी के द्वारा मिनटों में दर्द रहित आपरेशन संभव है। मरीज को कोई परेशानी नहीं होती। एसआईसीएस जिसे स्माल इंसीशन कैटरेक्ट सर्जरी कहा जाता है के द्वारा 5- 7 मि. मी. का चीरा लगाया जाता है।लेंस प्रत्यारोपण कर आंखों पर पट्टी बांधी जाती है। मरीज एक ही दिन में घर जा सकता है। पट्टी अगले दिन खोली जाती है।
मेडिकल कालेज में सीएमओ कार्यालय के द्वारा कार्यरत नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर अरविंद विश्वकर्मा ने बताया कि पहले लोग सर्दियों में आपरेशन करवाते थे। गर्मियों में लोगों की आंखों में इंफेक्शन का खतरा होता था। आपरेशन में समय लगता था। रिजल्ट भी बहुत अच्छा नही प्राप्त होता था। अब चीजें बदल गई है।
मेडिकल कालेज के सहायक आचार्य नेत्र सर्जन डॉक्टर अजय गोस्वामी ने बताया कि आंखो के आपरेशन अब किसी भी मौसम में संभव है। नई मशीनों और तकनीक के चलते पूर्व की अपेक्षा अब आंखो के आपरेशन बेहद सटीकता और दर्द रहित संभव हो पाया है। मेडिकल कालेज में इंट्रोपियान, नखूना, नासूर, मोतियाबिंद, का आपरेशन निशुल्क: किया जाता है। चिकित्सालय में फेंको मशीन उपलब्ध है परंतु अभी इसके द्वारा आपरेशन नही किया जा रहा है। जल्द ही इसके द्वारा आपरेशन प्रारंभ कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि शीघ्र ही नेत्र चिकित्सालय वार्ड को नए ढंग से व्यवस्थित किए जाने का प्रपोजल अधिकारियों को दिया जाएगा। जिसमे भविष्य में नेत्र वार्ड को पूरी तरह वातानुकूलित बनाए जाने का प्रस्ताव भी शामिल है।
इस बारे में मेडिकल कालेज के मेडिकल सुप्रीटेंडेन डॉक्टर डीएन सिंह ने बताया कि यदि नेत्र विभाग के द्वारा प्रपोजल भेजा जाता है तो इस पर उच्चाधिकारियों को अवगत करा कर वार्ड को नए रूप में व्यवस्थित कर दिया जाएगा।