औपचारिकता निभाने के लिए जारी किये गए थे प्रेसनोट
स्कूल वाहनों के फिटनेस पर किये गए थे सवाल
गोण्डा। जिले के लाखों नन्हे बच्चों की सुरक्षा को लेकर जितने चिंतित उनके अभिभावक होते हैं उतने ही लापरवाह विद्यालय संचालक और दिखाई देते हैं जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण विद्यालय वाहनों के फिटनेस को लेकर जारी विभागीय प्रेसनोट और उसपर एआरटीओ के बौखलाहट से मिल गया।
ज्ञात ही की विगत 14 अगस्त को जिले के एआरटीओ द्वारा मीडिया को सूचना दी गईं की जिले के सभी विद्यालयों के वाहनों का फिटनेस टेस्ट किया जायेगा और जिस भी वाहन का फिटनेस टेस्ट कराया जायेगा, जिसके लिए विभाग ने विद्यालयों को 17 अगस्त तक का समय दिया। कहने को तो इस बात की चेतावनी भी दी गईं की 17 अगस्त के बाद जिन वाहनों ने फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल नहीं किया उन्हें सड़क से हटा दिया जायेगा, यही नहीं उन वाहनों पर कार्यवाई के लिए सम्बंधित थानो को भी कार्यवाई के लिए सूचित किया जायेगा।
इस महत्वपूर्ण विषय पर हुई अबतक की कार्यवाई पर जानकारी प्राप्त करने के लिए आज ज़ब समाचार वार्ता की टीम ने ए आर टी ओ श्री भारतीय से संपर्क किया तो चर्चा की शुरुआत में ही इस बात का आभास हो गया की उनकी किसी दुखती हुई रग पर हाथ रख दिया गया है।
सवाल से बौखलाये अधिकारी ने इसे रूटीन कार्यवाही बताते हुए विषय की गंभीरता को ही समाप्त करने का प्रयास किया, उनका कहना था की ये सतत चलने वाली प्रक्रिया हैं ऐसे में सवाल ये उठता हैं की ज़ब ये एक सामान्य और सतत चलने वाली प्रक्रिया है तो इसके लिए किसी प्रेसनोट की आवश्यकता क्यों पड़ी, और यदि प्रेसनोट में गंभीरता थी तो जिन वाहनों ने फिटनेस प्रमाण पत्र नियत तिथि तक हासिल नहीं किया उनके विरुद्ध बताई गईं कार्यवाई क्यों नहीं की गईं।
यही नहीं उनसे ज़ब ये पूछा गया की कौन सा वाहन फिटनेस टेस्ट में पास है और कौन सा नहीं इसका पता कैसे लगे तो उन्होंने झुंझलाते हुए कहा की इसके लिए आपको विभाग में शामिल होना पड़ेगा।
यही नहीं उनसे ज़ब ये पूछा गया की यदि कोई अभिभावक ये पता करना चाहे की उसका बच्चा जिस वाहन से विद्यालय जा रहा हैं वो कितना सुरक्षित हैं, जानना चाहे तो क्या करें इसपर सवालों से बौखलाये ए आर टी ओ ने कहा की इसके लिए उसे विद्यालय प्रबंधन से संपर्क करना होगा, इसी विषय पर उन्होंने एक चौकानें वाला बयान दिया की फिटनेस प्रमाणपत्र को वाहन के साथ नहीं रखा जाता, इसे विद्यालय प्रबंधन अपने कार्यालय में रखता हैं।
सवालों का क्रम आगे बढ़ता देख बुरी तरह झुंझलाये हुए ए आर टी ओ श्री भारतीय ने कहा की जितने भी सवाल हैं उन्हें लिखकर दे दीजिए। सवालों के जवाब और उनकी स्थिति देखकर ऐसा कहीं से नहीं लग रहा था की वे विद्यालय के वाहनों के फिटनेस और उनमे विद्यालय जाने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर जरा भी गंभीर हैं।
शासन सहित प्रशासन के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की भी ये जिम्मेदारी बनती हैं की अख़बारों की सुर्खिया बनने की चाहत और अपनी सक्रियता दिखा कर शासन और उच्चाधिकारियों की निगाह में अपने को बड़ा कर्त्तव्यनिष्ट दिखाने वाले ऐसे अधिकारियों पर नकेल कसा जाये जो फर्जी या औपचारिकता निभाने वाली जानकारियां प्रसारित कर आम जनता को गुमराह तो करते ही है, उनके और बच्चों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही दिखाते हैं।
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