गोण्डा। राक्षसों द्वारा साधुओं के उत्पीड़न से त्रस्त मुनि विश्वामित्र राजा दशरथ के दरबार आकर उनसे अपनी और संतो की सुरक्षा को लेकर राम लक्ष्मण को अपने साथ भेजने की मांग करते हैं । अत्यंत दुःखी मन से राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के सलाह पर राम लक्ष्मण को मुनि विश्वामित्र के साथ भेज देते हैं।

रास्तेमें विश्वामित्र द्वारा साधुओं की हड्डियों का ढेर दिखाए जाने पर राम प्रतिज्ञा करते हैं निश्चर हीन करहूं महि भुज उठाए प्रण कीन्ह ।
इसी क्रम में खर दूषण और ताड़का वध कर साधुओं की तपस्या निर्भय करते हैं।

मुनि विश्वामित्र के साथ जनकपुरी पहुंचते हैं। रास्ते में गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार करते हैं
फुलवारी और धनुष यज्ञ की रोचक प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से संरक्षक प्रमोद मिश्र अध्यक्ष आनंद कुमार पाण्डेय, तारकेश्वर चतुर्वेदी लंकेश , विजय मिश्रा सुंदरलाल ,ओम प्रकाश पांडेय, टिंकु बाबा,निश्चलानंद पांडे, पवन कुमार पाण्डेय, सुरेश मिश्र बाबा, दीपक मिश्रा, नरसिंह यादव,

जटा शंकर पांडेय, अमन चतुर्वेदी, शशांक मिश्रा, अजय कुमार मिश्रा, अशोक कुमार पाण्डेय, राजेश मिश्रा अनंत पाण्डेय, अमर, कैलाश सिंह, बेचई प्रसाद, दरोगा चौधरी, सालिक राम, कमलेश, पिंटू चौधरी सहित तमाम ग्रामवासी उपस्थित रहे।

 
									 
						 
							 
							 
							 
							 
							 
							


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